महराजगंज, परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या के अनुसार शिक्षकों की तैनाती न होने से शिक्षा गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पा रहा है। बीआरसी क्षेत्र में ऐसे कई स्कूल हैं, जिनमें 200 से अधिक छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सिर्फ एक या दो शिक्षकों पर है। छात्र संख्या अधिक और शिक्षक कम होने से उनकी पढ़ाई बेहतर तरीके से नहीं हो पा रही है। शिक्षकों को भी छात्रों की गुणवत्ता मजबूत करने में परेशानियां उठानी पड़ रही है। ऐसे में विभागीय व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। विभागीय अधिकारी शिक्षकों की तैनाती के मामले में शासन स्तर से कार्रवाई होने का हवाला दे रहे हैं। बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने पर काफी जोर है। लेकिन शिक्षकों की तैनाती पर कोई बल नहीं दिया जा रहा। तुलसीपुर बीआरसी के कई स्कूलों में छात्र संख्या के अनुरूप शिक्षक नहीं है। इन स्कूलों के शिक्षकों को शिक्षण कार्य के अलावा विभागीय कार्य भी करने पड़ते हैं। बीआरसी कौवापुर के बगल संचालित पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 141, प्राथमिक विद्यालय सुगानगर में 265 व प्राथमिक विद्यालय कौहड़ोरा में 350 छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दो-दो शिक्षकों पर है। वहीं लालपुर लैबुड्डी में 125 छात्र शिक्षक विहीन हैं। यह विद्यालय दो शिक्षामित्रों के सहारे चल रहे हैं।
ऐसे में स्कूल के छात्रों को किस प्रकार पढ़ाते होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यही हाल बीआरसी क्षेत्र के कई गांवो के परिषदीय स्कूलों का है। कुछ शिक्षकों का कहना है कि स्कूल में छात्र संख्या के हिसाब से शिक्षक न होने से बच्चों को पढ़ाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार तो विभागीय कार्य का बोझ पड़ने पर छात्रों को समय से शिक्षा नहीं मिल पाती है। कुछ लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों को परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या मानक के अनुसार शिक्षकों की तैनाती करनी चाहिए। बीआरसी क्षेत्र के जिन स्कूलों में छात्र अधिकार और शिक्षक कम हैं उनकी सूची उच्च अधिकारियों को दी गई है। शिक्षकों की मांग शासन स्तर से की गई है। इस सम्बन्ध में खंड शिक्षाधिकारी रमेश कुमार शर्मा ने बताया उम्मीद है कि जल्द ही पर्याप्त शिक्षकों की तैनाती हो जाएगी।
कक्षा एक से तीन तक के लिए प्रति पांच छात्र एक प्रश्नपत्र और कक्षा चार से आठ तक हर छात्र के लिए प्रश्नपत्र छपवाए जाएंगे। इसके प्रश्नपत्र खोलने की प्रक्रिया भी तय कर दी गई है। पर्यवेक्षक के समक्ष प्रश्नपत्र खोला जाएगा और ओएमआर शीट की स्कैनिंग करवाई जाएगी। यदि स्कूल में नेटवर्क की स्पीड कम है तो निकटस्थ स्कूल में स्कैनिंग की जाएगी।