पिता के बाद पुत्र के देश का चीफ जस्टिस बनने का यह पहला अवसर होगा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ 16वें सीजेआई थे। वे 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक इस पद पर रहे।
नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर के निर्माण में नियमों के उल्लंघन पर उसे गिराने का आदेश दिया।
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जस्टिस चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने अविवाहिता को भी गर्भपात का अधिकार दिया।
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निजता को मौलिक अधिकार माना। सबरीमाला, समलैंगिकता और अयोध्या केस में भी जज रहे।
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नई दिल्ली, विशेष सवाददाता। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज डीवाई चंद्रचूड़ देश के 50वें चीफ जस्टिस होंगे। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर उनके नाम की सिफारिश मंगलवार को केंद्र से की।
पिता सबसे लंबे समय तक रहे चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ सरकार द्वारा सिफारिश को मंजूर करने के बाद 9 नवंबर को देश के नए चीफ जस्टिस बनेंगे। वह 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होंगे। वह देश के सबसे लंबे समय तक चीफ जस्टिस रहे वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे हैं। उनके पिता 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक न्यायपालिका के शीर्ष पद पर कार्यरत रहे।
जस्टिस ललित 8 को सेवानिवृत्त होंगे चीफ जस्टिस ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे। उनका 74 दिन का ही कार्यकाल रहेगा। निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश ललित ने अपनी सिफारिश का पत्र न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को सौंपा। विधि मंत्री किरेन रिजिजू ने सात अक्तूबर को चीफ जस्टिस को पत्र भेजकर अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने को कहा था। इसकी सिफारिश करते हुए जस्टिस ललित ने सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों से सुबह सवा 10 बजे न्यायाधीशों के लाउंज में एकत्रित होने का अनुरोध किया था। इसके बाद उन्होंने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को पत्र सौंपा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका के डिजीटलाइजेशन में अहम भूमिका निभाई है। वे 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं। हाल में जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक पीठ ने गर्भपात संबंधी कानून के दायरे का विस्तार किया तथा अविवाहित महिलाओं को भी 20 से 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी।