बलरामपुर। परिषदीय स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने के लिए शासन ने विशेष पहल शुरू की है। अब रिटायर्ड शिक्षकों को स्कूलों की निगरानी (सहयोगात्मक पर्यवेक्षण) में लगाया जाएगा। प्रत्येक शिक्षक प्रतिमाह 30 स्कूलों का स्थलीय निरीक्षण कर वहां तैनात शिक्षकों की उपस्थिति व बच्चों के शैक्षिक स्तर का मूूल्यांकन कर ऑनलाइन रिपोर्टिंग करेंगे। एआरपी की तर्ज पर कार्य करने वाले इन सेवानिवृत्त शिक्षकों को यात्रा भत्ता के रूप में प्रतिमाह 2500 रुपये दिए जाएंगे।
प्राइमरी व जूनियर स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने अध्यापकों के बीच परीक्षा कराकर सभी ब्लॉकों में पांच-पांच एआरपी (एकेडमिक रिसोर्स पर्सन) नियुक्त किये हैं। एआरपी का कार्य विषयवार स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने के साथ ही शिक्षकों की उपस्थिति समेत अन्य बिंदुओं की सूचना विभागीय पोर्टल पर अपलोड करना है। एआरपी की निगरानी से स्कूलों में बेहतर परिवर्तन हुए हैं। अब इसी तर्ज पर सेवानिवृत्त शिक्षकों को भी जिम्मेदारी देेन की तैयारी है।
स्वेच्छा एवं स्वप्रेरणा से सेवाभाव रखने वाले वही रिटायर्ड शिक्षक इस योजना के लिए पात्र होंगे जो परिषदीय स्कूलों में कम से कम पांच वर्ष तक शिक्षक अथवा प्रधानाध्यापक के रूप में सेेवा दे चुके हों। उनकी आयु 70 वर्ष से अधिक न हो। आवेदन करने वालों को पहले 60 अंक की लिखित परीक्षा देनी होगी। फिर 30 अंकों का शिक्षण प्रदर्शन (माइक्रो टीचिंग) व दस अंकों का साक्षात्कार होगा।
जिला समन्वयक प्रशिक्षण मोहित देव त्रिपाठी ने बताया कि इस योजना में चयन के लिए सेवानिवृत्त शिक्षकों की संख्या निर्धारित नहीं है। स्वेच्छा एवं स्वप्रेरणा से सेवाभाव की भावना रखने वाले सभी पात्र आवेदकों का चयन किया जाएगा।
बीएसए कल्पना देवी ने बताया कि परिषदीय स्कूलों में सहयोगात्मक पर्यवेक्षण के लिए सहयोग देने की चाह रखने वाले सेवानिवृत्त शिक्षकों का चयन करने संबंधी निर्देश जारी हो चुके हैं। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ये व्यवस्था जिले में लागू कर दी जाएगी।