नौ वर्ष से पीसीएस की तैयारी कर रहे जसरा के प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक अमरेंद्र कुमार चौधरी ने सफलता हासिल कर ली। छह बार लिखित परीक्षा तक पहुंचे, चार बार इंटरव्यू दिया। पांच बार असफलता का मुंह देखने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और जुटे रहे। आखिरकार छठवें प्रयास में अमरेंद्र यूपीपीसीएस-2021 में सफल हो गए।
सिद्धार्थनगर से प्रयागराज और दिल्ली तक का सफर
मूल रूप से सिद्धार्थनगर जनपद के रहने वाले किसान बलजीत चौधरी के बेटे अमरेंद्र कुमार चौधरी ने सिद्धार्थनगर से ही इंटर तक की पढ़ाई की। प्रयागराज से 2008 में बीटेक किया और दिल्ली की टेलीकाम कंपनी में टेलीकाम इंजीनियर पद पर नौकरी शुरू कर दी। यह नौकरी रास नहीं आई और एक साल में ही इस्तीफा देकर प्रयागराज लौट गए।
2013 में ही इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन सफलता नहीं
प्रयागराज लौटकर एमटेक में प्रवेश लिया और 2012 में पढ़ाई पूरी करने के बाद 2013 में जौनपुर से बीएड कर लिया। बीएड करने के बाद इंजीनियरिंग कालेज में शिक्षक बन गए इसके साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। 2013 में पहले ही प्रयास में पीसीएस के साक्षात्कार तक पहुंच गए पर सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद लगातार प्रयास जारी रहा।
फिर सहायक अध्यापक बनकर जारी रखी कोशिश
2020 में जसरा के रेही स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक बन गए। अमरेंद्र चौधरी बताते हैं कि 2013 में पहला साक्षात्कार दिया, इसके बाद 2015 में लोअर पीसीएस के साक्षात्कार तक पहुंचे। 2016 और 2017 में मुख्य परीक्षा तक पहुंचे। 2018 में साक्षात्कार दिया पर यहां भी सफलता दूर रही। अमरेंद्र कहते हैं कि लगातार असफलता के बाद भी हार नहीं मानी। मैने गीता के कर्म सिद्धांत का पालन किया, क्योंकि मेरे हाथ में कर्म था फल नहीं। लगातार मेहनत का ही फल मुझे मिला। इस सफलता में मेरे माता-पिता, पत्नी और मित्रों का योगदान है।