प्रदेश के 3049 सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापकों के 1504 और प्रधानाध्यापकों के 390 पदों पर भर्ती की डगर सरकार के लिए कांटों भरी होने जा रही है।
हाईकोर्ट के आदेश पर परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने लिखित परीक्षा का परिणाम तो छह सितंबर को संशोधित कर दिया है लेकिन इसके बावजूद भर्ती की तीन और बाधाओं को दूर करने के बाद ही शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मिल सकेगा।
किस स्तर पर लागू करें आरक्षण, पता नहीं इस भर्ती के लिए आरक्षण स्कूल, जिला या राज्य किस स्तर पर लागू करें यह तय नहीं है। दिसंबर 2019 में जारी उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल (जूनियर हाईस्कूल) नियमावली-1978 (अध्यापकों की भर्ती एवं सेवा की शर्तें) में आरक्षण व्यवस्था की स्थिति साफ नहीं है। स्कूल स्तर पर आरक्षण लागू नहीं हो सकता क्योंकि प्रत्येक स्कूल में एक प्रधानाध्यापक और तीन सहायक अध्यापकों के पद स्वीकृत हैं। नियमों के अनुसार चार पदों पर आरक्षण लागू नहीं होता। कुल विज्ञापित पदों पर या फिर जिला स्तर पर आरक्षण लागू करने को लेकर ऊहापोह की स्थिति है।
दो साल में रिक्त हुए पद न जोड़ने से विवाद
एडेड जूनियर भर्ती के लिए 31 मार्च 2020 तक रिक्त पदों को विज्ञापित किया गया था लेकिन उसके बाद से ढाई साल बीत चुके हैं। इस बीच काफी संख्या में शिक्षकों के सेवानिवृत्ति के कारण पद खाली हो गए हैं। अभ्यर्थियों का तर्क है कि वर्तमान में जितने भी पद रिक्त हैं उन सबको इस भर्ती में शामिल किया जाए। विज्ञापन में भी पदों की संख्या घटने या बढ़ने की बात थी। हालांकि अफसरों का मानना है कि दो साल में रिक्त हुए पद जोड़ने पर भविष्य की भर्ती के लिए आवेदन करने वाले युवा वंचित हो जाएंगे। जबकि हकीकत यह है कि पद नहीं जुड़ता तो सर्वाधिक नुकसान बच्चों को होगा क्योंकि उस स्थिति में उन्हें निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के अनुसार शिक्षक नहीं मिल पाएंगे।
विषयवार परीक्षा, राज्य स्तरीय मेरिट
एडेड जूनियर हाईस्कूलों में भर्ती के लिए विज्ञान/गणित, सामाजिक विज्ञान और भाषा (हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत) की लिखित परीक्षा अलग-अलग करवाई गई थी। लेकिन भर्ती के लिए मेरिट विषयवार न बनाकर राज्य स्तरीय एक मेरिट बनाई जा रही है। शासनादेश में विषयवार मेरिट को लेकर स्थित साफ नहीं है। ऐसे में विज्ञान/गणित से अधिक अभ्यर्थियों के मेरिट में आने पर विवाद हो सकता है।