इंटर कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को शिक्षा देने वाले शिक्षकों की ड्रेस भी अलग छाप छोड़ती है। डीआईओएस ने निर्देश जारी किए हैं कि अब कोई भी शिक्षक जींस और टी-शर्ट में दिखाई नहीं देगा। अपने कपड़ों की शालीनता की बच्चों पर छाप छोड़े।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में सभी प्रधानाचार्यों को जारी पत्र में डीआईओएस गजेंद्र कुमार ने कहा कि मेरे बार-बार लिखित एवं मौखिक आदेशों के बाद भी कुछ विद्यालयों-कार्यालयों में यह देखने में आया है कि शिक्षक और कर्मचारी विद्यालयों में टी-शर्ट और जींस पहनकर आ रहे हैं। यह शासन के और विभाग के आदेशों की खुली अवहेलना है, ऐसे सभी प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और कार्यालय कर्मियों से पुन: अपेक्षा की जाती है कि अपनी स्वयं की गरिमा और पद की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए समुचित शालीन कपड़ों में विद्यालय आयें।
उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में निरीक्षण के दौरान किसी को भी विद्यालय की गरिमा के विरुद्ध पोशाक में पाया जाएगा तो कर्मचारी आचरण नियमावली के अंतर्गत कार्रवाई को बाध्य होना पड़ेगा।
डीआईओएस ने बताया कि मुख्य सचिव के निदेश है कि विद्यालयों में शिक्षक शालीन पोशाक में आए। उन्होंने बताया कि कोई ड्रेस कोर्ड सरकार ने जारी नहीं किया है, लेकिन एक पद की भी गरिमा होती है।
एक ऐसा स्कूल: जहां पढ़ाई के लिए करना पड़ता है तीन दिन का इंतजार, अफसर नहीं लेते सुध, पढ़े
ये नजारा किसी प्राइवेट स्कूल का नहीं है। ये मेरठ का परिषदीय स्कूल है। लिसाड़ीगेट में सात कमरों के प्रह्लाद नगर उच्च प्राथमिक विद्यालय में 1119 छात्राएं पढ़ती हैं। यहां क्लास के लिए इनमें से 550 छात्राओं को सप्ताह के पहले तीन दिन बुलाया जाता है तो शेष को बाद के तीन दिन। यहां तीन शिक्षामित्र, तीन अनुदेशक, छह सहायक अध्यापक और एक प्रधानाध्यापक तैनात हैं।
लिसाड़ीगेट अल्पसंख्यक बहुल आबादी वाला इलाका है। यह अपराध के लिए भी बदनाम है। अभिभावक बेटियों को पढ़ने के लिए घर से दूर भेजना नहीं चाहते। प्रह्लाद नगर उच्च प्राथमिक विद्यालय लिसाड़ी गेट थाने के पास है। अभिभावकों को लगता है कि यहां बच्चियां महफूज रहेंगी। इसलिए विद्यालय में छात्राओं की संख्या 1119 हैं।
छात्राएं।
देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म दिवस छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2010 में 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में घोषित किया था।
प्रधानाध्यापक नौशाद अली ने बताया कि स्कूल में सिर्फ सात कक्ष हैं। गर्मियों में उपस्थिति लगभग पूरी होती है, ऐसे में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
1072 परिषदीय स्कूल हैं जिले में
637 प्राथमिक स्कूल हैं।
171 उच्च प्राथमिक स्कूल हैं।
264 कंपोजिट विद्यालय हैं।
1,42,601 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं इन सभी स्कूलों में।
और जगह होती तो अच्छा होता
हमारे साथ शिक्षक भी मेहनत करते हैं और हम मन लगाकर पढ़ते हैं। अगर स्कूल में और जगह होती तो बहुत अच्छा होता। – सानिया, छात्रा
फर्नीचर की कमी
गर्मियों में बहुत ही ज्यादा परेशानी होती है और स्कूल में टेबल की भी कमी है। – शाहिजा, छात्रा