प्रयागराज। देश के 50वें प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहे जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जो फैसले दिए, वे न्याय की नजीर बन गए।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने यहां अपने सवा तीन साल के कार्यकाल में न सिर्फ न्यायिक प्रशासन को मजबूत दिशा दी बल्कि न्याय पालिका को लोकतंत्र के एक मजबूत स्तंभ के रूप में परिभाषित भी किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह के उद्घाटन पर उन्होंने अपनी दूरदर्शी सोच से देश की न्याय पालिका को इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का वह आयाम स्थापित कराया, जो कोरोना काल में वादकारियों के लिए वरदान साबित हुआ। देश में न्याय पालिका के पहले सूचना तकनीकी केंद्र की रूपरेखा तत्कालीन चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के निर्देशन में ही तैयार हुई। इसके अलावा एशिया के सबसे बड़े हाईकोर्ट का डिजिटाइजेशन का कार्य भी उन्होंने ही शुरू कराया। सात जजों की वृहद पीठ बनाकर निचली अदालतों की सुरक्षा की मॉनिटरिंग की। नतीजतन राज्य सरकार ने इसके लिए अलग से बजट भी निर्धारित किया। विधि क्षेत्र से जुड़े लोग इसे व्यवस्था के अंग के रूप में ही देखते हैं।
● न्याय पालिका को लोकतंत्र के एक मजबूत स्तंभ के रूप में किया था परिभाषित
● यहां सवा तीन साल के कार्यकाल में न्यायिक प्रशासन को मजबूत दिशा दी
● एशिया के सबसे बड़े हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के बड़े फैसले
● राज्यपाल की नियुक्ति में मुख्यमंत्री से परामर्श जरूरी नहीं
● मदरसों में भी फहराना होगा तिरंगा
● विवाहित पुत्री को भी मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति का अधिकार
● यूपी में शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द
● लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव की नियुक्ति अवैध
● निठारी कांड के मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली की फांसी उम्र कैद में तब्दील
● आर्म्स फोर्सेस ट्रिब्यूनल को भर्ती विवाद सुनने का अधिकार नहीं
● राशन कार्ड के लिए ’आधार’ अनिवार्य नहीं
● एएमयू लाइब्रेरी में छात्राओं को प्रवेश का अधिकार
● यादव सिंह की संपत्ति की सीबाआई जांच का आदेश
● उच्चतर एवं माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोगों के अध्यक्षों की नियुक्ति रद्द
जस्टिस चंद्रचूड़ ने मंगलवार को जस्टिस यूयू ललित के साथ अपनी तस्वीर साझा की।