इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशल्या देवी बालिका इंटर कालेज केदवई नगर कानपुर के चार अध्यापकों की नियुक्ति में कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने के आरोप में अध्यापकों के निलंबन व धन की वसूली पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से याचिका पर छह हफ्ते में जवाब मांगा है। साथ ही विभागीय जांच कार्यवाही नियमानुसार पूरी करने तथा याचियों को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है।
अब 21 दिसंबर को होगी याचिका पर सुनवाई
अब इस याचिका की सुनवाई 21 दिसंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने महेश कुमार गुप्ता की याचिका पर दिया है।
याचिका पर अधिवक्ता अनुराग शुक्ल व वरिष्ठ अधिवक्ता वीके सिंह ने बहस की। इनका कहना है कि नौ दिसंबर 2000 के शासनादेश में अध्यापकों की नियुक्ति का अनुमोदन करने का अधिकार क्षेत्रीय स्तरीय कमेटी को है बशर्ते कोर्ट का आदेश न हो।
याची के मामले में कोर्ट ने शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया था। उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक को चेतावनी देते हुए अनुमोदन करने का आदेश दिया।जिस पर निरीक्षक ने नियुक्ति का अनुमोदन कर दिया। आदेश शासनादेश की शर्तों के अनुरूप है। इसलिए वसूली वह निलंबन आदेश रद किया जाय।
इस प्रकरण में जिला विद्यालय निरीक्षक ने कालेज प्रबंध समिति को चार अध्यापकों की नियुक्ति करने की अनुमति दी। विधिक प्रक्रिया अपनाते हुए नियुक्ति कर अनुमोदन के लिए निरीक्षक को पत्रावली भेजी गई। कोई निर्णय न होने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए शिक्षा निदेशक को निर्णय लेने का आदेश दिया।
निदेशक ने जिला विद्यालय निरीक्षक को कोर्ट आदेश का पालन करने का निर्देश दिया जिसका पालन किया गया किन्तु बाद में शासनादेश का हवाला देते हुए निरीक्षक के आदेश को प्रक्रिया के विपरीत अवैध करार दिया गया, और निलंबित कर वसूली आदेश जारी किया गया जिसे चुनौती दी गई है।