कम उम्र वाले नौ फीसदी बच्चे प्रदूषण से गंवा रहे प्राण
(स्रोत ग्लोबल बर्डन डिसीज रिपोर्ट)
कम उम्र वाले नौ फीसदी बच्चे प्रदूषण से गंवा रहे प्राण
● दिल्ली में एक लाख की आबादी पर 125 बच्चों की मौत की वजह प्रदूषण पाई गई ● उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान में सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित
12.2
वायु प्रदूषण छोटे बच्चों के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशुओं को भी नुकसान पहुंचता है। शोधों में पाया गया है कि वायु प्रदूषण से बच्चे अस्थमा और सांस की अन्य बीमारियों से पीड़ित होते हैं। शरीर के अन्य अंगों भी इससे प्रभावित होते हैं। -प्रोफेसर एस काबरा, पीडियाट्रिक विभाग, एम्स, दिल्ली
कुपोषण
साफ पानी न होना
वायु प्रदूषण
8.8
अन्य
नई दिल्ली। वायु प्रदूषण बुजुर्गों से लेकर गर्भ में पल रहे शिशुओं की खराब सेहत के लिए जिम्मेदार है। देश में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के करीब नौ फीसदी मामलों की वजह वायु प्रदूषण है। आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर सागनिक डे ने ग्लोबल बर्डन डिसीज रिपोर्ट के आधार पर अपने ताजा अध्ययन पत्र में यह खुलासा किया है।
अध्ययन के मुताबिक, ग्लोबल बर्डन डिसीज की रिपोर्ट में पहले प्रदूषण से बच्चों को होने वाली सांस की बीमारियों को ही शामिल किया जाता था। लेकिन, ताजा रिपोर्ट में प्रदूषण से कम वजन के बच्चे पैदा होने के आंकड़े भी शामिल किए गए हैं। शोधपत्र के मुताबिक उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश में क्रमश प्रदूषण से पांच साल से छोटे बच्चों की सबसे ज्यादा मौत होती है। केरल, तमिलनाडु और गोवा में यह आंकड़ा सबसे कम है। वहीं दिल्ली में प्रति एक लाख पर लगभग 125 बच्चों (5 वर्ष से छोटे) की मौत प्रदूषण से होती है।
एक अन्य अध्य्यन के हवाले से डे ने बताया कि प्रदूषण का स्तर (77.3 एक्यूआई के बाद) हर 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर बढ़ने पर गर्भवती के शिशु का कम वजनी होने का खतरा दो फीसदी अधिक बढ़ जाता है। गर्भ में प्रदूषण से बच्चों की लंबाई कम होना, अस्थमा, निमोनिया और तक एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है। यह अध्ययन इंडियन पीडियाट्रिक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।