प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (यूपीएचईएससी) ने विज्ञापन संख्या 50 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की लिखित परीक्षा का परिणाम संशोधित कर दिया है। आयोग ने मंगलवार को चार विषयों के संशोधित परिणाम में 51 नए अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए सफल घोषित किया है। इन अभ्यर्थियों के इंटरव्यू के बाद इनका अंतिम परिणाम आने पर पूर्व में चयनित कुछ अभ्यर्थियों की नौकरी जा सकती है।
आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर शारीरिक शिक्षा, संस्कृत, अर्थशास्त्र एवं गणित की लिखित परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी किया है। शारीरिक शिक्षा में चार, संस्कृत में 21, अर्थशास्त्र में 14 एवं गणित में 12 नए अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए सफल घोषित किया गया है। इन विषयों के कई अभ्यर्थियों ने कुछ प्रश्नों पर आपत्ति की थी। उनका कहना था कि आयोग ने आयोग ने प्रश्नों के सही जवाब पर भी उन्हें अंक नहीं दिए।
अभ्यर्थियों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में आयोग ने इन चारों विषयों की कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराया और गलती सामने आने के बाद आयोग को संशोधित परिणाम जारी करना पड़ा। हालांकि, इन चारों विषयों में पूर्व में चयनित को नियुक्ति मिल चुकी है।
उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से शारीरिक शिक्षा में चयनित 23 अभ्यर्थियों, संस्कृत के 74, गणित के 96 और अर्थशास्त्र के 100 चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी किए जा चुके हैं और इन्हें कॉलेजों में नियुक्ति भी मिल चुकी है। अब नए अभ्यर्थियों का साक्षात्कार अलग से कराया जाएगा। असिस्टेंट प्रोफेसर की सीटें निर्धारित साक्षात्कार 15 दिसंबर को
असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के तहत चारों विषयों की लिखित परीक्षा के संशोधित परिणाम में सफल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार 15 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा। आयोग के सचिव दयानंद प्रसाद के अनुसार अभ्यर्थी अपना साक्षात्कार पत्र आयोग के पोर्टल ‘uphesc2021.co.in’ से 25 नवंबर की दोपहर से डाउनलोड कर सकते हैं। साक्षात्कार संबंधी अन्य विवरण साक्षात्कार पत्र में अंकित है।
आयोग की गलती से होगा नुकसान
कॉपियों के मूल्यांकन में आयोग ने गलती की, लेकिन इसका नुकसान पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों को होगा। अगर नए अभ्यर्थियों में से कुछ का चयन हो जाता है तो उन्हें नियुक्ति दी जाएगी और जिनके अंक उनसे कम हैं, उन्हें नौकरी गंवानी पड़ेगी, जबकि इसमें पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों का कोई दोष भी नहीं है। हालांकि, आयोग के अध्यक्ष इस मामले में जवाबदेही तय करने के लिए इसकी जांच करा रहे हैं।