फतेहपुर।
परिषदीय छात्र-छात्राओं में विद्यालय जाकर पढ़ाई के लिए खासा उत्साह है, लेकिन शिक्षकों की लेटलतीफी से बच्चों को दिक्कतें हैं। ग्रामीण इलाकों में खासकर यमुना पट्टी के विद्यालयों में टीचर देर से पहुंचते हैं तो नौनिहालों का मनोबल गिर रहा है। घंटों बच्चे विद्यालय खुलने के इंतजार में खड़े रहते हैं।
पड़ोसी जनपद कानपुर, बांदा, हमीरपुर, कौशाम्बी, रायबरेली की सीमा के नजदीक वाले स्कूलों में तैनात शिक्षक शिक्षिकाएं प्रतिदिन अपडाउन करते हैं। जिससे यह लोग समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं। सुबह देर से आना और दूसरे पहर जल्दी जाने की होड़ सी रहती है। अपडाउन करने वाले मास्साबों की दोआबा के चारों ओर वैन दौड़ती नजर आती है। विद्यालय खोलने की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक या तो स्थानीय शिक्षामित्र को या फिर रसोइयों को जिम्मेदारी दे देते हैं। नतीजा स्कूल का ताला समय पर न खुलता है और न ही बंद होता है। विभागीय दावे कितने भी किए जा रहे हो लेकिन प्राथमिक स्कूलों की जमीनी हकीकत देखने को कुछ और ही मिलती है। इसके अलावा शिक्षकों ने अल्टरनेट डे पर विद्यालय जाते हैं। कई बार सम्बंधित अभिभावकों ने शिकायत की लेकिन अंकुश नहीं लग पा रहा है।
बार्डर स्थित स्कूलों के शिक्षकों का यही हाल
जहानाबाद कस्बा सहित क्षेत्र के प्राइमरी एवं उच्च प्राइमरी स्कूलों में लगभग 60 प्रतिशत उन अध्यापकों की नियुक्ति है जो प्रतिदिन कानपुर, हमीरपुर जिले से आते एवं जाते हैं। जिसके चलते प्रतिदिन विद्यालय समय पर अध्यापक अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकें यह नामुमकिन है। कभी वाहन में खराबी तो कभी जाम में फंसना लेट लतीफी का कारण बनता है।
यमुना पट्टी के स्कूलों की स्थिति दयनीय
जाफरगंज इलाके में संचालित प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अधिकांश अध्यापक एवं अध्यापिका कानपुर शहर से रोजाना वैन के जरिए आना जाना करते हैं। खासकर यमुना पट्टी इलाके के विद्यालय समय से नहीं खुलते। देर से आना और जल्दी जाना इनकी आदत में शुमार है। विद्यालय में जो स्टाफ कार्यरत है वह समय से स्कूल नहीं पहुंचते हैं।
बोले जिम्मेदार
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
बीएसए संजय कुमार कुशवाहा का कहना है कि समय से विद्यालय खुलना चाहिए। यदि इस पर लापरवाही की जाती है तो मामले में पैनी निगाह रहेगी। जो शिक्षक लापरवाही करेंगे उनके खिलाफ कार्यवाही तय है।