सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में विशेष शिक्षकों की कमी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार इसे लेकर सोई हुई है। शीर्ष अदालत ने पूछा, क्या सरकार हमें चलानी है? यहां तक कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है तब भी आप परेशान नहीं होते हैं। आप चाहते हैं कि चीजें कागजों के ढेर में खो जाएं।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी व जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ मामले में दाखिल जनहित याचिका पर उचित हलफनामा दाखिल न करने पर नाराज थी। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के वकील ने कहा, सरकार 12,000 नियमित शिक्षकों की नियुक्ति पर विचार कर रही है और इसके लिए बजट आवंटित किया जा चुका है।
इस पर पीठ ने पूछा, क्या यह इस सदी में हो जाएगा? वकील ने जवाब दिया, अदालत हमें निर्देश दे सकती है। पीठ ने कहा, क्या पूरी सरकार हमें ही चलानी है? आप हमें निर्देश देने के लिए कह रहे हैं। इसके बाद, आप कहेंगे कि न्यायालय अपनी सीमा का उल्लंघन कर रहा है। इस मामले में अगली सुनवाई दिसंबर के दूसरे हफ्ते में होगी।
कोर्ट रूम लाइव : नियमित नियुक्तियां नहीं की जातीं, यही समस्या
पीठ : आप खड़े होते हैं, बैठते हैं या सोते हैं, हम जानना नहीं चाहते। आप इसे करें। ये इस तरह के मामले हैं जहां आपको अति-संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। हम तलब करते हैं और उपदेश देते रहते हैं। क्या यह हमें करना चाहिए?
सरकार : प्रक्रिया चालू है। नोडल शिक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है।
पीठ : यही समस्या है। नियमित नियुक्तियां नहीं की जाती हैं।
सरकार : नोडल शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
पीठ : पर प्रशिक्षितों को इंतजार कराया जा रहा है। यह बैक-डोर भी नहीं, बैक-वेंटिलेटर एंट्री है।
13 लाख विशेष आवश्यकता वाले छात्रों पर 2115 शिक्षक
पीठ ने कहा, राज्य बता रहा है कि परियोजना के लिए 2115 शिक्षक पर्याप्त हैं। याचिकाकर्ता ने बताया कि 13 लाख विशेष आवश्यकता वाले छात्र हैं। पीठ ने तब राज्य सरकार से कहा कि वह अपनी कार्ययोजना बताए।