लखनऊ। राज्यकर कर्मियों को दंडित करने से जुड़े प्रकरणों में उच्चाधिकारियों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने की तैयारी शुरू हो गई है । राज्यकर विभाग ने तय किया है कि कर्मचारियों के खिलाफ की जाने वाली दंडात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया का कड़ाई से पालन किया जाएगा। वहीं दंडित कर्मचारियों को भी पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा।
दरअसल अनियमितता, गड़बड़ी व अनुशासनहीनता की शिकायत पर कार्रवाई होने पर अधिकांश कर्मचारियों सीधे कोर्ट चले जाते हैं, जहां उन्हें विभागीय स्तर पर हुई चूक का फायदा मिल जाता है। अधिकांश मामलों में कोर्ट द्वारा कर्मचारियों का पक्ष न सुने जाने को आधार बनाते हुए संबंधित कर्मचारी को बरी कर दिया जाता है। वहीं कार्रवाई का आदेश देने वाले अधिकारी को कोर्ट की अवमानना के मामलों का सामना करना पड़ता है।
पिछले दिनों दंडात्मक कार्रवाई से बरी होने वाले कर्मचारियों से जुड़े ऐसे कई मामलों की समीक्षा की गई। इसमें पता चला कि दंड देने की प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन न किए जाने के चलते अपचारी कर्मचारी कोर्ट से छूट जा रहे हैं और अधिकारियों को अवमानना का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे कई मामलों में झटका खाने के बाद मुख्यालय स्तर से राज्य कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लागू अनुशासन एवं आचरण नियमावली में दी गई व्यवस्था का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
सभी जोनल एडिशनल कमिश्नरों को दंड देने के मामलों में पूरी प्रक्रिया का पारदर्शिता से पालन करने को कहा गया है। उन्हें यह भी निर्देश दिया गया है कि किसी भी कर्मचारी को दंडित करने का आदेश जारी करने से पहले उसका पक्ष भी सुना जाए। इतना नहीं, कर्मचारियों के पक्ष का भी दंड दिए जाने से संबंधित आदेश में अनिवार्य रूप से उल्लेख किया जाए। यानी दंडित कर्मचारी के पक्ष को रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा शिकायतों की जांच के लिए अपनायी जाने वाली प्रक्रिया में भी सभी प्रावधानों का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।