सुल्तानपुर। प्रदेश सरकार एक ओर जहां परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधारने में जुटी है, वहीं शहरी क्षेत्र के स्कूल खस्ताहाल हैं। शहर के चार विद्यालय ऐसे हैं, जहां न शिक्षक हैं और न ही शिक्षामित्र उधार के शिक्षकों शिक्षामित्रों के भरोसे विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था संचालित हो रही है।शहरी क्षेत्र में 29 विद्यालय है। इसमें से अधिकांश विद्यालयों के भवन जर्जर है। जूनियर हाईस्कूल नगर पालिका में न कोई अध्यापक है और न ही शिक्षामित्र व अनुदेशक की तैनाती है। कंपोजिट विद्यालय मान्यवर कांशीराम, प्राथमिक विद्यालय लालडिग्गी और प्राथमिक विद्यालय लोहरामऊ में भी न कोई शिक्षक और न ही शिक्षामित्र ही कार्यरत है। इन चारों विद्यालयों के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए दूसरे स्कूलों के शिक्षकों एवं शिक्षामित्रों को संबद्ध किया गया है। शहरी क्षेत्र में 29 परिषदीय विद्यालयों में मात्र 20 अध्यापकों की तैनाई है, जबकि सृजित पद 90 है 38 शिक्षामित्र शहरी क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत हैं, वहीं तीन अनुदेशकों को भी तैनाती कंपोजिट विद्यालय संगमलाल में है।
अध्यापक विहीन हैं 14 विद्यालय: शिक्षक व शिक्षामित्र विहीन विद्यालयों के साथ ही 14 विद्यालय ऐसे हैं, जहां कोई अध्यापक कार्यरत नहीं है। शिक्षण व्यवस्था एमडीएम समेत अन्य सभी काम शिक्षामित्रों के जिम्मे है। नगर के प्राथमिक विद्यालय अमहट, दरियापुर, गर्भाड़िया प्रथम, गांधीनगर हथियानाला करौदिया, लोहरामऊ, नरायनपुर, पारकौसगंज, पयागीपुर, पियारेपट्टी, लालडिग्गी में शिक्षक नहीं हैं। वहीं कंपोजिट विद्यालय मान्यवर कांशीराम और जूनियर हाईस्कूल नगर पालिका में भी शिक्षकों की तैनाती नहीं है। शहर के कंपोजिट विद्यालय संगमलाल में सर्वाधिक छात्र संख्या है। यहां दो अध्यापक, दो शिक्षामित्र और तीन अनुदेशक के पद हैं। अध्यापकों की तैनाती नहीं होने से शैक्षिक गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।