उत्तर प्रदेश के 22 लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स के 75 लाख परिवारों के कैशलेस इलाज का रास्ता साफ हो गया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस बाबत गाइडलाइन (एसओपी) जारी कर दी है। कर्मचारी और पेंशनर्स परिवार हेल्थ कार्ड दिखाकर किसी भी सरकारी चिकित्सा संस्थान व मेडिकल कॉलेज में इलाज करा सकेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जुलाई में पं दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना की शुरुआत की थी। इसे चिकित्सा शिक्षा विभाग के नियंत्रण वाले सभी चिकित्सा विश्वविद्यालयों, चिकित्सा संस्थानों, मेडिकल कॉलेजों व स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों में लागू किया गया है। विभाग की विशेष सचिव दुर्गा शक्ति नागपाल ने एसओपी जारी करते हुए सभी संस्थानों व मेडिकल कॉलेजों को हेल्पडेस्क व कियोस्क बनाने के निर्देश दिए हैं। वहीं, कर्मचारियों व पेंशनर्स के परिवारों का हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा। लाभार्थियों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन योजना से जुड़े पोर्टल पर किया जाएगा। यह व्यवस्था की जा रही है कि राज्य कर्मचारी और पेंशनर्स अपना स्टेट हेल्थ कार्ड स्वयं डाउनलोड कर सकें।
हर कॉलेज में बनाया जाए मॉनिटरिंग सेल
विशेष सचिव ने निर्देश दिया है कि कॉलेज स्तर पर मॉनिटरिंग सेल बनाया जाए। इसमें न्यूनतम चार कर्मचारी रखे जाएंगे। कंप्यूटर ऑपरेटर व अन्य कर्मचारियों का भुगतान आउटसोर्सिंग के जरिए किया जाएगा। नोडल ऑफिसर द्वारा अस्पताल की लेखा शाखा अथवा किसी अन्य शाखा के किसी कार्मिक को दीनदयाल मित्र बनाया जाएगा। विशेष सचिव ने इन सभी कर्मचारियों को जल्द ट्रेनिंग कराने के भी निर्देश दिए हैं।
राजकीय संस्थानों की दरें ही होंगी मान्य
लाभार्थियों के इलाज के लिए अलग से पैकेज की दर निर्धारित नहीं की जाएगी। प्रदेश के सभी राजकीय संस्थानों में प्रचलित दरें ही इस योजना के लिए लागू की जाएंगी। लाभार्थी के उपचार में जो धनराशि मेडिकल कालेजों, चिकित्सा संस्थानों, चिकित्सा विश्वविद्यालयों द्वारा खर्च किया जाएगा, उसे संबंधित संस्थान की आय माना जाएगा। वर्तमान में राजकीय मेडिकल कॉलेजों को प्राप्त होने वाली आय को राजकोष में जमा किया जाता है। यही व्यवस्था पं दीनदयाल उपाध्याय कैशलेस चिकित्सा योजना में प्रस्तुत आय के लिए भी लागू होगी।