इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को नियमित किए जाने के मामले में सचिव रजिस्ट्रेशन, लखनऊ को तलब किया है। कोर्ट ने कहा है कि वह 22 नवंबर को मामले की सुनवाई केदौरान कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहेंगे। कोर्ट ने आदेश का पालन कराने केलिए रजिस्ट्रार को निर्देशित भी किया है। कहा कि वह आदेश का पालन कराने केलिए कोर्ट के आदेश की कॉपी भेजकर सूचित करें। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले में याची उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि विपक्षी को जिस पद पर नियमित करने के लिए कोर्ट ने आदेश दिया है। वह पद 1998 में ही समाप्त हो गया है। इसलिए उसे नियमित नहीं किया जा सकता है। जबकि, विपक्ष के अधिवक्ता रामप्यारे लाल श्रीवास्तव ने कहा कि विपक्षी 1979 से ही रजिस्ट्रेशन विभाग में वॉटरमैन के पद पर तैनात है।
उसने अपने नियमितीकरण के लिए याचिका दाखिल की तो कोर्ट ने उसकी याचिका को स्वीकार करते हुए सन 2013 में ही विपक्षी को नियमित करने का आदेश पारित किया था।
नौ साल बीत जाने के बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया। जबकि, एकल पीठ ने यह आदेश दिया था कि अगर वॉटरमैन का पद समाप्त हो गया है तो चतुर्थ श्रेणी में किसी भी पद पर समायोजित कर लिया जाए। कोर्ट ने विपक्षी के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद मामले में सचिव रजिस्ट्रेशन को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने को कहा है। पूछा है कि कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 22 नवंबर की तिथि तय की है।