प्रधानाध्यापक के वेतन के लिए कोर्ट पहुंचे प्रभारी
प्रमोशन शिक्षकों का मौलिक अधिकार है। न होने से वित्तीय नुकसान हो रहा है। अवैधानिक रूप से इनसे प्रधानाध्यापक का काम लिया जा रहा है। जो भी अड़चनें हों उन्हें दूर करके तत्काल प्रमोशन किया जाए। -देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ
प्रयागराज, बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में सालों से प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत सहायक अध्यापकों ने प्रधानाध्यापक का वेतन दिए जाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गोरखपुर के प्राइमरी स्कूल में 2010 से प्रभारी प्रधानाध्यापक त्रिपुरारी दुबे और 2005 से प्रभारी प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी उठा रहे एक अन्य शिक्षक ने हाईकोर्ट में चार नवंबर को याचिका की है।
क्रमश 12 और 17 साल से जिम्मेदारी निभा रहे दोनों अध्यापकों का तर्क है कि प्रधानाध्यापक का काम करने के बावजूद उन्हें सहायक अध्यापक का वेतन मिल रहा है। दोनों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि जब याचिकाकर्ताओं को इतने लंबे समय तक प्रधानाध्यापक के रूप में काम करने की अनुमति दी गई है तो उन्हें पद के अनुरूप वेतन भी मिलना चाहिए। कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 28 नवंबर को होगी। प्रभारी प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी उठा रहे सहायक अध्यापकों को हर महीने औसतन चार हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। पदोन्नति न होने के कारण उन्हें एक इंक्रीमेंट नहीं मिल पाता।
प्रयागराज में दस साल से नहीं हुई शिक्षकों की पदोन्नति परिषदीय शिक्षकों का सालों से प्रमोशन नहीं होने के कारण बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी सहायक अध्यापकों को प्रधानाध्यापक का प्रभार देकर काम चला रहे हैं। प्रयागराज में ही मार्च 2009 के बाद नियुक्त सहायक अध्यापकों का प्रमोशन नहीं हुआ है जबकि तीन साल में प्रमोशन का नियम है। प्रयागराज में कुल 1851 प्राथमिक विद्यालय के सापेक्ष लगभग 1095 नियमित प्रधानाध्यापक कार्यरत हैं। इसी प्रकार कुल 535 उच्च प्राथमिक एवं 486 कंपोजिट स्कूल में तकरीबन 141 नियमित प्रधानाध्यापक कार्यरत हैं। शेष स्कूलों में प्रभारी प्रधानाध्यापकों से काम चलाया जा रहा है।