कोर्ट ने याचियों को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को तीन सप्ताह में प्रत्यावेदन देने की छूट देते हुए सचिव को सत्र के अंत में जिला आवंटित करने कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो सके।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2018 की 68500 सहायक अध्यापक प्रक्रिया पूरी होने के बाद क्वालिटी प्वाइंट अंक तथा वरीयता से जिला आवंटित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि हस्तक्षेप किया गया तो याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी और सरकार जिला आवंटित करने की कार्यवाही पूरी नहीं कर सकेगी।
हालांकि, कोर्ट ने याचियों को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को तीन सप्ताह में प्रत्यावेदन देने की छूट देते हुए सचिव को सत्र के अंत में जिला आवंटित करने कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो सके। यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने प्रयागराज की हिना इस्लाम सहित 42 अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है।
याचीगण का कहना था कि उन्होंने प्रयागराज, कौशाम्बी तथा संत रविदास नगर जिले की वरीयता दी थी। उसे अधिक अंक पाने के बावजूद सोनभद्र जिला आवंटित किया गया है। जबकि उससे कम अंक पाने वाले गृह जनपद में तैनात किए गए हैं।शिखा सिंह तथा 48 अन्य के केस में कोर्ट ने मनमाना आवंटन रद्द कर नए सिरे से तीन माह में आवंटन का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ अपील खारिज हो गई। खंडपीठ ने कहा कि जिन्हें जिला आवंटित हो चुका है, उन्हें नहीं छेड़ा जाएगा। कोर्ट ने कहा 2018 में ही चयन प्रक्त्रिस्या पूरी हो चुकी है।
कोर्ट ने सही आवंटन का आदेश दिया था। उसके खिलाफ अपील भी खारिज हो गई जो बात एक बार तय कर दी गई उसे दोबारा तय करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। याचिका खारिज कर दी किंतु याचियों को अपनी बात सचिव के समक्ष रखने तथा उसे निर्णीत करने का निर्देश दिया है।