अफसरों की नाकामी के कारण छह हजार बेरोजगार सड़क की ठोकरें खा रहे हैं। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 12460 सहायक अध्यापक भर्ती में शून्य जनपद के विवाद का समाधान अफसर नहीं खोज पा रहे जिसके कारण छह हजार युवाओं की नियुक्ति फंसी हुई है। सात मई को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा था कि इस भर्ती की समस्या का समाधान खोजने के लिए सरकार गंभीर है। इस पर कोर्ट ने 26 मई की अगली तारीख लगाते हुए समस्या का समाधान प्रस्तुत करने की उम्मीद जताई थी। लेकिन आज तक कुछ हल नहीं निकल
क्या है समस्या
प्राथमिक स्कूलों में 12460 शिक्षक भर्ती 15 दिसंबर 2016 को शुरू हुई थी। इसमें प्रदेश के 75 में से 24 जिलों में एक भी पद रिक्त नहीं था। इन 24 जिलों के अभ्यर्थियों को किसी भी एक अन्य जनपद में आवेदन करने की छूट थी। हालांकि जिन 51 जिलों में रिक्त पद थे वहां से बीटीसी करने वाले अभ्यर्थियों ने यह कहते हुए कोर्ट में याचिका कर दी कि भर्ती में उनको प्राथमिकता मिलनी चाहिए भले ही शून्य 24 जनपद के अभ्यर्थियों की मेरिट अधिक क्यों न हो। उस समय भर्ती जिला स्तरीय मेरिट के आधार पर होती थी। तब से इसका समाधान नहीं मिल सका है।
एक मई 2018 को 6512 को मिला नियुक्ति पत्र
16 मार्च 2017 को पहली काउंसिलिंग हुई, लेकिन इस बीच सरकार बदलने के बाद नई सरकार ने समीक्षा के नाम पर 23 मार्च 2017 को भर्ती पर रोक लगा दी। 16 अप्रैल 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भर्ती शुरू करने की अनुमति दी। 23 अप्रैल 2018 को फिर से सभी चयनित अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराई गई। लेकिन 18 अप्रैल 2018 को हाईकोर्ट ने 24 शून्य जनपद के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी। एक मई 2018 को मुख्यमंत्री ने 51 जिले के लगभग 6512 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दे दिया। बचे हुए 5948 पद आज तक नहीं भरे जा सके हैं।
साढ़े चार साल से चला आ रहा विवाद
इस भर्ती का विवाद पिछले चार साल से चला आ रहा है। आजमगढ़ के सौरभ शर्मा समेत अन्य अभ्यर्थियों को शिकायत है कि सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी न होने के कारण भर्ती फंसी हुई है। अब तक दो दर्जन से अधिक बार तारीख लग चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकला। इन अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र भी बीएसए कार्यालयों में जमा हैं।