नई दिल्ली, यूनेस्को द्वारा जारी ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट-2022 के अनुसार भारत में पिछले आठ साल में नए खुले प्रत्येक 10 स्कूलों में से 7 निजी हैं। भारत में 2014 के बाद से स्थापित 97,000 स्कूलों में से करीब 67,000 निजी और गैर सरकारी सहायता प्राप्त हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 30 साल में दक्षिण एशिया ने दुनिया के बाकी हिस्सों को पीछे छोड़ते हुए शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से विस्तार किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा और गुणवत्ता की कमी ने भारत में निजी शिक्षा के विकास को बढ़ावा दिया है। यूनेस्को के सर्वे में शामिल लोगों में से केवल 46 वयस्कों ने कहा कि स्कूली शिक्षा प्रदान करने की प्राथमिक जिम्मेदारी सरकार के पास है, 35 मध्यम और उच्च आय वाले देशों में यह सबसे कम है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि सरकारी सहायता के बिना खुले स्कूलों के माध्यम से शिक्षा असमानता को बढ़ावा देगी।
भारत के आठ शहरों में कम आय वाले परिवारों के 4,400 माता-पिता की प्राथमिकताओं के विश्लेषण में पाया गया कि 86 से अधिक बच्चे निजी स्कूल में नामांकित थे या कक्षा एक से निजी स्कूल में जाएंगे।
61 फीसदी हाई स्कूल छात्रों ने स्वीकारी ट्यूशन की बात
भारत में प्राइवेट ट्यूशन लेने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या भी काफी ज्यादा है। यह दर लगातार बढ़ती जा रही हैं। सर्वे में शामिल माध्यमिक विद्यालय के छात्रों में से 61 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कहा कि उन्होंने खराब स्कूली शिक्षा के कारण ट्यूशन लिया।
29600 स्कूल गैर मान्यता प्राप्त
यूनेस्को के अनुसार 2020 में भारत में लगभग 29,600 गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल थे, जो 38 लाख छात्रों को शिक्षित कर रहे थे। वहीं अनुमानत 4,139 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे 5 लाख से अधिक छात्रों को शिक्षित करते हैं।
निजी स्कूलों में दाखिलों का प्रतिशत
देश प्री प्राइमरी प्राइमरी सेकेंडरी
भारत 25 45 51
अफगानिस्तान – 07 04
बांग्लादेश 55 24 94
भूटान 14 04 10
इरान 98 15 11
मालदीव 36 04 05
नेपाल 47 25 24
पाकिस्तान 39 34 34
श्रीलंका 80 03 –
दक्षिण एशिया 32 38 50
दुनिया 38 19 27