अपना दल सोने लाल की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल अधिवेशन में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में यूपी सरकार पर हमलावर दिखीं। अनुप्रिया पटेल ने मंच से शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षण की अनियमितता को दूर करने का मुद्दा उठाया। यह पहला मौका नहीं था जब वह इस मुद्दे पर बोलीं हो। इससे पहले भी अनुप्रिया मामले को उठा चुकीं हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अनुप्रिया अपने वोट बैंक को साध रही हैं। वह पिछड़ों की नेता हैं इसलिए बार-बार पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने बात कर रही हैं।
दरअसल, अनुप्रिया लखनऊ में आजयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में बोल रही थीं। केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल अपनी मां और बहन की ओर इशारा करते हुए कहा था कि विरोधी विरोध करते हैं तो चलता है, लेकिन जब अपने लोग ही विरोध करने लगते हैं तो अंदर से तकलीफ होती है और इस तकलीफ को मैं पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद से ही झेल रही हूं। गौरतलब है कि अपना दल की स्थापना अनुप्रिया के पिता डॉक्टर सोनेलाल पटेल ने की थी और 2009 में उनके निधन के बाद अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल ने पार्टी का नेतृत्व संभाला और अनुप्रिया पार्टी की महासचिव बनीं। वर्ष 2012 में वह पहली बार वाराणसी के रोहनिया से विधायक चुनी गईं और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन किया।
मिर्जापुर से सांसद चुने जाने के बाद अनुप्रिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्रिपरिषद विस्तार में मंत्री बनने का मौका मिला और इसके बाद से ही मां-बेटी के बीच मनमुटाव शुरू हो गया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अपना दल दोफाड़ हो गया। अनुप्रिया ने भाजपा गठबंधन से अपनी पार्टी का चुनाव लड़ा और विधानसभा में उनके नौ विधायक जीते। वर्ष 2022 में भी भाजपा गठबंधन से उनके 12 विधायक चुनाव जीते और अनुप्रिया के नेतृत्व में पार्टी राज्य की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। निर्वाचन आयोग ने अपना दल एस को राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा दिया।