अभी प्रारंभिक स्तर पर हैं तैयारियां
नई शिक्षा नीति लागू करने के संबंध में राज्य विश्वविद्यालयों की तैयारियां अभी प्रारंभिक चरण में हैं। विश्वविद्यालयों ने इसे लागू करने के लिए शासन के निर्देशानुसार कमेटियों का गठन कर दिया है। साथ ही सभी पाठ्यक्रमों में सेमेस्टर प्रणाली लागू कर दी है। स्थानीय उद्योगों के साथ इंटर्नशिप के लिए जरूरी पाठ्यक्रम अभी नहीं बने हैं। इसी तरह उद्योगों के साथ एमओयू की प्रक्रिया भी अभी पूरी हुई है। विद्यार्थियों को विषयों के चयन की सुविधा देने के संबंध में भी जरूरी औपचारिकताएं अभी पूरी नहीं हुई हैं। ज्यादातर विश्वविद्यालयों को ऐसा लगता है कि इसे जल्दबाजी में लागू कर दिया गया।
● राजीव ओझा
लखनऊ। प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को एक संस्थान से दूसरे संस्थान में ट्रांसफर की सुविधा देने के लिए जल्द ही क्रेडिट ट्रांसफर की नीति बनाई जाएगी। नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को यह सुविधा देने का प्रावधान किया गया है। नीति में क्रेडिट के अंकों से ही परीक्षा परिणाम तैयार किए जाने की व्यवस्था है।
नई शिक्षा नीति 2020 में च्वायस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) पर आधारित सेमेस्टर सिस्टम का प्रावधान किया गया है। पाठ्यक्रम संरचना में एक पेपर के क्रेडिट निर्धारित किए गए हैं। पेपर में शामिल टॉपिक्स के लिए कितने-कितने क्रेडिट रखे जाएंगे, यह तय करने का अधिकार शासन ने विश्वविद्यालयों को दिया है। इसके साथ ही शासन ने स्नातक स्तर पर न्यूनतम समान पाठ्यक्रम भी लागू कराया है। नई शिक्षा नीति में एक वर्ष का सर्टिफिकेट कोर्स, दो वर्ष का डिप्लोमा, तीन वर्ष की स्नातक डिग्री व चार वर्ष की स्नातक (शोध सहित) डिग्री होगी।
प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा सुधीर एम. बोबड़े ने गुरुवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित एक आनलाइन बैठक में नई शिक्षा नीति लागू करने के संबंध में विश्वविद्यालयों की तैयारियों की समीक्षा की। इसमें सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलसचिव व अन्य अफसर जुड़े हुए थे। प्रमुख सचिव ने तैयारियों के संबंध में सभी विश्वविद्यालयों से रिपोर्ट मांगी। उच्च शिक्षा परिषद ने नई नीति लागू करने में विश्वविद्यालयों की तरफ से सामने लाई गई समस्याओं पर चर्चा की।