प्रयागराज। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में विद्यार्थियों के विकास के लिए रचनात्मक मूल्यांकन पर जोर दिया गया है। रचनात्मक मूल्यांकन कक्षा शिक्षण के साथ-साथ चलने वाली प्रक्रिया है। यह मूल्यांकन सीखने के बाद नहीं, बल्कि सीखने के साथ ही किया जाता है।
इसका उद्देश्य है कि विद्यार्थियों के सीखने के स्तर एवं पढ़ाई जाने वाली पाठ्यवस्तु की समझ का आकलन शिक्षण के दौरान ही किया जा सके। जिससे शिक्षक को अपनी शिक्षण तकनीक की प्रभावशीलता का फीडबैक प्राप्त हो सके तथा इसके आधार पर शिक्षक अपनी पाठ्ययोजना में आवश्यक परिवर्तन कर सके। इस आकलन के आधार पर कमजोर विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त उपचारात्मक शिक्षण की योजना बनाने में भी सहायता मिलती है।