भारत विश्व मानवता की धरोहर है। भारत जैसा प्रजातंत्र दुनिया में अन्यत्र कहीं नहीं है। मैकाले ने हमारी आस्था पर चोट करने का काम किया। इस वर्ष 26 जनवरी को वसंत पंचमी के दिन देश में नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को सही इतिहास पढ़ाया जाएगा। ये बातें भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद एवं अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, जमुहार में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार सह संगोष्ठी के दूसरे दिन मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहीं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति इतिहास को सुधारने का मौका देती है। केवल जोरावर सिंह, फतेह सिंह ही भारतीय नायक नहीं, बल्कि भारत के हर जिले में नायकों के उदाहरण मिल सकते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भाषा को प्रमुखता दी गई है। जब तक मातृभाषा को प्रमुखता नहीं दी जाएगी, तब तक बच्चों को सही तरीके से शिक्षा नहीं दी जा सकती।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत संबंधित अध्ययन को बढ़ावा देने का काम किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं। उन्होंने कहा कि
नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए तकनीक के प्रयोग की जरूरत है। विश्व के 140 देशों को हमने करुणा का संदेश दिया है।
डेढ़ सौ टीवी चैनल स्कूलों के लिए समर्पित किए जा रहे हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि अब प्रतिरोध का जमाना चला गया। 500 करोड़ वैश्विक नागरिकों का केंद्र बिंदु भारत है। 7000 वर्ष पूर्व मूर्ति बनने का प्रमाण इसी इलाके में मिला है। कहा कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी इतिहास और शिक्षा है। अब तक इतिहास को गलत तरीके से लिखा गया। अब भारत सरकार पूरी ताकत के साथ नए और सही इतिहास को लिखने की दिशा में प्रयासरत है। इस दिशा में इतिहास अनुसंधान परिषद व अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा बहुत ही सराहनीय कार्य किया जा रहा है.