यूपी के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत तदर्थ (एड हॉक) शिक्षकों को वेतन देने से सरकार ने साफ मना कर दिया है। हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका में 14 दिसंबर को मांगे गए जवाब में सरकार की ओर से माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने पक्ष रखा है। साफ किया है कि संजय सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सात दिसंबर 2021 के आदेश के अनुसार तदर्थ शिक्षकों को रोजकोष से वेतन भुगतान करना उचित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के 26 अगस्त 2020 के आदेश पर तदर्थ शिक्षकों को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की टीजीटी-पीजीटी 2021 शिक्षक भर्ती परीक्षा में अवसर दिया जा चुका है, जिसमें केवल 40 तदर्थ शिक्षक सफल हुए थे। लिहाजा शेष शिक्षकों के वेतन भुगतान की जिम्मेदारी राज्य सरकार की नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में ऐसे तदर्थ शिक्षकों के भुगतान का दायित्व प्रबंधतंत्र का है।
मानदेय पर अब तक नहीं हो सका निर्णय
तदर्थ शिक्षकों के मानदेय पर अब तक निर्णय नहीं हो सका है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से तदर्थ शिक्षकों को निश्चित मानदेय पर रखने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। मानदेय पर रखने के लिए जो तीन फॉर्मूला सुझाया गया है, उसमें सरकार पर एक अरब 20 करोड़ से लेकर दो अरब 41 करोड़ रुपये तक सालाना व्ययभार पड़ने का अनुमान है।