कानपुर, शहर के 1700 परिषदीय स्कूलों की सफाई शिक्षकों के जिम्मे है, जिसमें शौचालय भी शामिल है। 1997 के बाद से सफाई कर्मचारी रखे ही नहीं गए और शौचालय साफ न मिलने पर अफसर प्रतिकूल निरीक्षण आख्या भेज देते हैं। शिक्षकों को चेतावनी व अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। अब बेसिक शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताते हुए सफाई कर्मचारी तैनात करने की मांग की गई है।पहले परिषदीय स्कूलों में अंशकालिक सफाई कर्मचारी थे जिन्हें 450 रुपये प्रति माह मिलता था।
1997 के बाद से नई नियुक्ति नहीं की गई। ब्लॉकों में सफाई की जिम्मेदारी पंचायतों को और नगर में नगर निगमों को सौंप दी गई। यहां से स्कूलों में सफाई कर्मचारी नहीं जाते। जाते भी हैं तो केवल झाड़ू लगाते हैं। शिक्षक कर्मचारी एवं अधिकारी कल्याण समिति उत्तर प्रदेश ने मंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि 09 फरवरी 2021 को एक शासनादेश जारी किया गया था। इसमें कहा गया है कि विद्यालय की साफ सफाई एवं स्वच्छता केवल एक विशिष्ट व्यक्ति का कार्य नहीं बल्कि छात्रों, शिक्षकों का भी नैतिक दायित्व है। शिक्षक जब बच्चों का सहारा लेते हैं तो शिक्षकों के खिलाफ एक्शन लिया जाता है।समिति के मंडल अध्यक्ष मोहम्मद परवेज आलम ने मंत्री से कहा है कि विद्यालयों में शौचालय की सफाई के लिए सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए। नियुक्ति न होने तक उच्चाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि वे शौचालयों में सफाई न मिलने पर किसी भी शिक्षक के खिलाफ उनके खिलाफ कार्रवाई न करें।