प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिवार की परिभाषा में शादीशुदा पुत्री को शामिल नहीं करने के मेरठ के सीएमओ के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवाहित पुत्री भी परिवार की परिभाषा में आती है। इस आधार पर मृतक आश्रित कोटे के तहत पिता की जगह विवाहित पुत्री को नौकरी दी जानी चाहिए। कोर्ट ने यह आदेश मेरठ स्थित 119-जे ब्लॉक कॉलोनी खजुरी, दरवाजा परीक्षितगढ़ की अरुणा की याचिका पर दिया है।
122
previous post