लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने पुरानी पेंशन बहाली सहित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन का रुख अख्तियार करने का निर्णय लिया है। परिषद ने वर्ष 2023 को संघर्ष वर्ष घोषित किया है। तय किया है कि जनवरी 2023 की शुरुआत से ही क्रमिक रूप से आंदोलन शुरू हो जाएंगे और दिसंबर में राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
इस संबंध में परिषद की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक रविवार को राजधानी में लोक निर्माण विभाग के डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ भवन में हुई। बैठक में परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष इं. हरि किशोर तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्णयों के बाद राज्य सरकारों ने कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं और भत्तों सहित पुरानी पेंशन का हक छीन लिया है। ऐसे में आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखकर ही इसे संघर्ष वर्ष घोषित किया गया है। इस संबंध में परिषद की तमाम अन्य केंद्रीय व राज्य स्तरीय संगठनों से लगातार बातचीत हो रही है।
यादव ने कहा कि बीते महीने प्रदेश के सभी जिलों में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर मांगों के निस्तारण के लिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया था। इस दौरान पुरानी पेंशन बहाली, केंद्र के समान भत्तों की मांग के साथ ही कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना व वेतन विसंगतियों को निस्तारित करने व शासनादेश के निर्देशानुसार सेवा संगठनों से नियमित बैठक करने आदि की मांगें उठाई गई थीं।
इसके बावजूद सरकार ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की, इससे प्रदेश भर के कर्मचारियों में भारी रोष है। बैठक में डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ लोक निर्माण विभाग के अध्यक्ष ई. एनडी द्विवेदी के अलावा प्रयागराज के राम विराग, अयोध्या के अरविंद कुमार सिंह, वाराणसी के शशिकांत श्रीवास्तव, देवरिया के अशोक पांडेय, सहारनपुर के सरदार सिंह, उन्नाव के उमा निवास वाजपेई, नोएडा के अंबा प्रसाद शर्मा के अलावा विभिन्न संगठनों के नेता मौजूद रहे।