कमजोर बच्चों के लिए योजना बनाने में सहायक
प्रयागराज। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में विद्यार्थियों के विकास के लिए रचनात्मक मूल्यांकन पर जोर दिया गया है। रचनात्मक मूल्यांकन कक्षा शिक्षण के साथ-साथ चलने वाली प्रक्रिया है। यह मूल्यांकन सीखने के बाद नहीं, बल्कि सीखने के साथ ही किया जाता है। इसका उद्देश्य है कि विद्यार्थियों के सीखने के स्तर एवं पढ़ाई जाने वाली पाठ्यवस्तु की समझ का आकलन शिक्षण के दौरान ही किया जा सके। जिससे शिक्षक को अपनी शिक्षण तकनीक की प्रभावशीलता का फीडबैक प्राप्त हो सके तथा इसके आधार पर शिक्षक अपनी पाठ्ययोजना में आवश्यक परिवर्तन कर सके। इस आकलन के आधार पर कमजोर विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त उपचारात्मक शिक्षण की योजना बनाने में भी सहायता मिलती है।
प्रयागराज, प्रमुख संवाददाता। यूपी बोर्ड से संबद्ध 28 हजार स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं का अब रचनात्मक मूल्यांकन किया जाएगा। बोर्ड ने कार्यशाला आयोजित कर विषयवार रचनात्मक मूल्यांकन के टूल्स एवं टेक्निक्स जैसे वाद-विवाद, समूह चर्चा, मॉडल, चार्ट बनवाना, दृश्यात्मक प्रस्तुति, रोल-प्ले आदि को समाहित करने के लिए प्रारूप तैयार किया है।
बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने बताया कि सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देशित किया जा रहा है कि तैयार प्रारूप के अनुसार विद्यार्थियों का रचनात्मक मूल्यांकन किया जाएगा। प्रारंभिक चरण में अगले सत्र से कक्षा 9 में लागू करते हुए चरणबद्ध रूप से अन्य कक्षाओं में रचनात्मक मूल्यांकन को लागू किया जाएगा।