उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक संघ के संगठन मंत्री सुशील सिन्हा ने अमान्य मदरसों की आड़ में स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा एक से आठ तक के लाखों अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति बंद किये जाने के सरकार को निर्णय को अन्याय करार दिया। उन्होंने कहा कि योजना बंद करने के पीछे का आरटीई का तर्क भी पूरी तरह से निराधार है। सच्चाई ये है कि आरटीई योजना की सहयोग राशि का कई वर्षों से भुगतान न होने से 1200 करोड़ रूपये बकाया हो चुका है।
प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि वर्षों से संचालित योजना संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर संविधान को अमर्यादित करते हुये नौनिहालों के मुंह से निवाला छीन लिया गया। इस संबन्ध में तर्क दिया गया है कि इन बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत मिड डे मिल, मुफ्त पुस्तक, परिधान आदि सुविधाएं दी जाती है इसलिये छात्रवृत्ति बंद की जा रही है।
उन्होंने इसे झूठ करार देते हुये कहा कि सच्चाई यह है कि अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश में चयनित तथा विद्यालयों को निशुल्क पढ़ाने के लिये आवंटित करीब 350000 विद्यार्थियों को सहयोग राशि तथा उन्हें निशुल्क शिक्षा दे रहे विद्यालयों को बीते कई सालों का बकाया क्षतिपूर्ति की धनराशि 2100 करोड़ रूपये भुगतान नही हो पा रहा है।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने फर्जी आंकड़े देकर सरकार से अन्याय करार दिया, जिन बच्चों को सहारे की जरुरत है उनके अधिकार की योजना का बंद करा दिया जो निंदनीय है। उन्होंने प्रधानमंत्री से वर्तमान सत्र में छात्रों के आवेदनों का भुगतान करने और भविष्य में योजना के संबन्ध में फैसला लेने में संगठन से वार्ता करने का अनुरोध किया। इस मौके पर जयकरन यादव, अशोक सिंह, राम मिलन, मोहम्मद रईस, मोहम्मद आफताब, मोहम्मद रऊफ, संतूलाल गौतम, मोहम्मद कफील, प्रमोद कुमार आदि मौजूद रहे।