इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है कि सत्र 2022-23 की संबद्धता के लिए आवेदन करने वाले महाविद्यालयों को दस दिन के भीतर संबद्धता प्रदान करें। कोर्ट ने संबद्धता देने से इनकार करने के रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही इस संबंध में 22 नवंबर 2022 को जारी शासनादेश भी रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि दोनों आदेश मनमाने और औचित्यहीन हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने महाविद्यालयों की ओर से दाखिल दर्जनों याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका दाखिल करने वाले कॉलेजों का कहना था कि उन्हें सत्र 2021-22 के लिए संबद्धता प्रदान की गई थी और उनमें से कई कॉलेजों को सत्र 2023-24 के लिए नियमित संबद्धता भी प्रदान कर दी गई है लेकिन विश्वविद्यालयों ने सत्र 2022-23 के लिए संबद्धता देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इस सत्र के लिए महाविद्यालयों का निरीक्षण या तो समय पर नहीं किया जा सका है या फिर निरीक्षण रिपोर्ट राज्य सरकार द्वारा निर्धारित तिथि के भीतर विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड नहीं की जा सकी। विश्वविद्यालयों के अधिवक्ता का कहना था कि राज्य सरकार ने इस संबंध में 27 अक्टूबर 2021 को शासनादेश जारी किया था जिसे बाद में 29 नवंबर 2022 को संशोधित किया गया। इसके अनुसार निर्धारित समय सीमा के भीतर कॉलेज का निरीक्षण कर उसकी रिपोर्ट विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दी जानी चाहिए।
कॉलेजों ने समय रहते निरीक्षण के लिए विश्वविद्यालय को आवेदन किया था लेकिन विश्वविद्यालयों की निरीक्षण टीम द्वारा या तो समय से निरीक्षण नहीं किया जा सका या फिर समय से रिपोर्ट अपलोड नहीं कर सके। ऐसे में कॉलेजों की ओर से कोई गलती नहीं की गई है। कहा गया कि विश्वविद्यालय की गलती की सजा कॉलेजों को नहीं दी जा सकती है। यह भी कहा गया कि इन्हीं कॉलेजों को सत्र 2023-24 के लिए संबद्धता प्रदान की गई है, जिसका अर्थ यह है कि कॉलेज संबद्धता के लिए सभी योग्यता को पूरा करते हैं। कोर्ट ने 29 नवंबर 2022 के शासनादेश और आठ अगस्त 2022 के रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा संबद्धता देने से इनकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है।