मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपदाओं से बचाव के लिए सतर्कता और जागरूकता को बढ़ाने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा है कि अगर लोगों को यह पता होगा कि बाढ़, भूकंप, आकाशीय बिजली, अग्निकांड आदि के समय उन्हें कैसी सावधानियां बरतनी चाहिए, तो निश्चित ही बड़ी जनहानि से बचा जा सकता है। इसीलिए पहले की तरह स्कूली पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन को शामिल किया जाए। पहले 38 जिलों में बाढ़ आती थी, अब मात्र आठ में ही आ रही है।
मुख्यमंत्री इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बुधवार से आयोजित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तीसरे क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कहा कि आकाशीय बिजली से सर्वाधिक मौतें यूपी में होती हैं। इनमें से दो जिले मिर्जापुर और सोनभद्र सबसे अधिक प्रभावित हैं। इसलिए इसे रोकने के लिए अलर्ट सिस्टम को बेहतर बनाया जाए। मुख्यमंत्री ने आपदाओं की रोकथाम में आपदा मित्रों की भूमिका की सराहना करते हुए इस काम में ग्राम पंचायतों को जोड़ने और इनकी संख्या बढ़ाने पर को कहा। कार्यक्रम में बाढ़ की आपदा को कम करने के लिए नदियों के ड्रेजिंग का काम राज्य आपदा में शामिल किए जाने का अनुरोध किया गया। प्रमुख सचिव राजस्व सुधीर गर्ग ने मुख्यमंत्री सेकहा कि ऐसा होने से नदियों के किनारे रहने वालों को बड़ी राहत मिलेगी।
यूपी में हर वर्ष 22 हजार सड़क दुर्घटना के शिकार
सीएम योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन में कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना, जिसने पूरी दुनिया को बांध कर रख दिया था, उससे उत्तर प्रदेश जैसी बड़ी आबादी वाले राज्य में अब तक 30 हजार लोगों की मृत्यु हुई है लेकिन सड़क दुर्घटनाओं के कारण हर साल करीब 22 हजार लोग असमय काल-कवलित हो जाते हैं। इसे रोकने के लिए भी जागरूकता बढ़ानी होगी। इसके लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।