सरकार ने कहा कि वह कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 को सही ठहराने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार कर रही है। इसी योजना के तहत कर्मियों को बढ़ी हुई पेंशन कवरेज का विकल्प चुनने के लिए चार माह का समय दिया था। यानी वह पेंशन के लिए अपने वेतन से अपना योगदान बढ़ाने का विकल्प चुन सकते थे।
श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा में बताया कि सरकार पेंशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर विचार कर रही है। केंद्रीय मंत्री से पूछा गया था कि क्या सरकार ईपीएफ पेंशन योजना पर सुप्रीम कोर्ट के चार नवंबर के फैसले से वाकिफ है। वह कब इस फैसले को लागू करेगी और ईपीएफओ को ऊंची दरों पर पेंशन देने के फैसले पर कार्रवाई करेगी। एक अन्य जवाब में तेली ने बताया कि अदालत के फैसले के कानूनी, वित्तीय और व्यवस्थागत प्रभाव हैं। इस योजना के जरिये योग्य कर्मचारी बढ़ी हुई पेंशन का विकल्प चुन सकता है। ईपीएस-95 के सदस्यों में शामिल कर्मचारी एक सितंबर, 2014 को 15 हजार प्रति माह के पेंशनयोग्य वेतन की सीमा पर अपनी अंशधारिता 8.33% देने के बजाय पूरे वेतन पर 8.33% की अंशधारिता का विकल्प चुन सकता है।
2021 में सड़क हादसे बढ़कर 4.12 लाख हुए सरकार – सरकार ने लोकसभा को सूचित किया कि वर्ष 2021 में देश में सड़क दुर्घटनाएं वर्ष 2020 के मुकाबले 3,66,138 से बढ़कर 4, 12,432 हो गईं थीं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2019 में हालांकि 4,49,002 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं। सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए रोड इंजीनियरिंग से लेकर सड़कों में ढांचागत पुनर्गठन की कई पहल की गई हैं। उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि मंत्रालय किसी भी राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद नहीं करने जा रहा है।
कोलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता की कमी : रिजिजू
कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा को बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली में विभिन्न सूत्रों से लोग पारदर्शिता और उद्देश्यपरक होने की कमी बता रहे हैं। कोलेजियम प्रणाली में सामाजिक संतुलन की भी कमी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्टों में जजों की नियुक्ति के लिए मेमोरेंडम आफ प्रोसीजर ( एमओपी) के लिए अतिरिक्त सुझाव भेजे हैं। एमओपी वह दस्तावेज है जिसके जरिये उच्च न्यायपालिका में जजों का तबादला और नियुक्ति होती है। इसके अलावा, रिजिजू ने बताया कि 733 विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों ने 28 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में एक लाख 24 हजार से अधिक मामलों का निस्तारण किया है। इस साल 31 अक्टूबर तक 1,93,814 मामले अभी भी लंबित हैं।