यूपी बोर्ड की ओर से वित्तविहीन विद्यालयों को दी जाने वाली मान्यता की शर्तों में बदलाव किया गया है। शासन से मंजूरी मिलने के बाद प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने मान्यता की नवीन शर्तों से संबंधित तीस पेज का आदेश शिक्षा निदेशक और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को भेजा है। नवीन शर्तों के मुताबिक अब हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के स्कूलों को पहली बार में तीन साल के लिए मान्यता दी जाएगी। तीन साल की अवधि पूरी होने पर विद्यालयों को मान्यता का नवीनीकरण कराना होगा, नवीनीकरण पांच साल के लिए किया जाएगा।
नवीनीकरण विद्यालय संचालन के लिए निर्धारित व्यवस्था की स्कूल में उपलब्धता और स्कूल द्वारा मान्यता की शर्तों के अनुपालन किए जाने की स्थिति का स्थलीय निरीक्षण करने के बाद किया जाएगा। खास बात यह है कि विद्यालय की ओर से नवीनीकरण के लिए आवेदन करने के बाद अगर निर्धारित अवधि में नवीनीकरण नहीं होता है तो विद्यालय को स्वत नवीनीकृत (डीम्ड) मान लिया जाएगा।
यह शर्त इसलिए जोड़ी गई है क्योंकि पूर्व में ऐसा देखा गया है कि मान्यता मिलने के बाद स्कूल प्रबंधन से जुड़े लोग आधारभूत सुविधाएं बढ़ाने या समय-समय पर किए गए बदलावों के अनुरूप मानक पूरे करने में रुचि नहीं लेते हैं। यही कारण है कि पहली बार मान्यता नवीनीकरण व्यवस्था की गई है, ताकि सभी स्कूलों में आवश्यक न्यूनतम सुविधाएं सुनिश्चित कराई जा सकें।
औचित्यहीन रहे सभी सुझाव और आपत्तियां
यूपी बोर्ड ने मान्यता की शर्तों में संशोधन का प्रस्ताव 23 अगस्त को जारी करते हुए इस पर लोगों से सुझाव और आपत्तियां मांगी थीं। बोर्ड को 800 से अधिक सुझाव और आपत्तियां मिली थीं, जिसे अक्तूबर में शासन को भेजा गया था। प्रमुख सचिव के पत्र के मुताबिक प्राप्त सुझावों और आपत्तियों का कोई औचित्य नहीं पाया गया। स्पष्ट है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से यूपी बोर्ड की ओर से माध्यमिक शिक्षा परिषद के विनियमों के अध्याय-सात में उल्लिखित मानकों/शर्तों में संशोधन किए जाने का जो प्रस्ताव तैयार किया गया था, उसे ही अंतिम तौर पर स्वीकार कर लिया गया है।
मान्यता शुल्क में भी हुआ इजाफा
अभी तक हाईस्कूल-इंटरमीडिएट की मान्यता के लिए बतौर शुल्क 30 हजार रुपये लिए जाते थे, जिसे अब बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है। तीन साल पूरे होने के बाद मान्यता के नवीनीकरण के लिए तीस हजार रुपये बतौर शुल्क लिया जाएगा। स्पष्ट है कि इससे हर पांच साल पर बोर्ड की अच्छी आमदनी होगी। इंटरमीडिएट परीक्षा के किसी अतिरिक्त वर्ग की मान्यता के लिए अभी 20 हजार बतौर शुल्क लिया जाता था अब इंटरमीडिएट परीक्षा के सभी वर्ग (सभी विषय सहित) में मान्यता के लिए 25 हजार शुल्क लिया जाएगा। बिलंब शुल्क पहले की तरह 20 हजार रुपये ही रखा गया है।