प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि डिग्री कॉलेजों में प्राचार्य भर्ती में वरीयता कॉलेज में तैनाती के लिए लगातार लड़ने वाले अभ्यर्थी को दूसरे कॉलेज में ज्वाइन करने से नहीं कहा जा सकता कि उसने अपना अधिकार छोड़ दिया है। उसने मेरिट से वरीयता कॉलेज में तैनाती पाने का अधिकार नहीं छोड़ा है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि एक अभ्यर्थी की गलत तैनाती के खिलाफ नियमानुसार अपनी तैनाती की मांग में याचिका दायर की गई है। तो चयनित सभी अभ्यर्थियों को याचिका में पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है।
कोर्ट ने विनय कुमार केस में पूर्णपीठ के फैसले के अनुसार उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से वरीयता सूची से याची को कॉलेज आवंटित नहीं करने के 20 दिसंबर 21 तथा एकलपीठ के आदेश 20 जून 22 को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। याची को उसकी मेरिट पर वरीयता कॉलेज आवंटित करने का नए सिरे से आदेश पारित किया।