उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों को अब निजी कार्यक्रमों के लिए किराए पर लिया जा सकेगा. उत्तर प्रदेश सरकार इस संबंध में विचार कर रही है. यूपी सरकार UP Board से जुड़े हुए सभी सरकारी सेकेंडरी स्कूलों को निजी कार्यक्रमों के लिए किराए पर अपना कैंपस देने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.
सरकार का मकसद इसके जरिए सरकारी स्कूलों के लिए आय का एक नया रास्ता तैयार करना है. शिक्षा निदेशक महेंद्र देव ने बताया कि ये प्रस्ताव उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है.
ड्राफ्ट पॉलिसी में प्रस्ताव दिया गया है कि स्कूल की छुट्टियों के दौरान विवाह समारोह और अन्य समारोहों की मेजबानी के लिए स्कूल कैंपस का इस्तेमाल करने की इजाजत देकर फंड इकट्ठा किया जा सकता है. इसमें कहा गया है कि स्कूल अपनी खाली जमीन पर स्पोर्ट्स, कल्चरल एक्टिविटी और प्रदर्शनियों जैसे कार्यक्रम भी आयोजित करवा सकते हैं. खाली जमीन का इस्तेमाल फसल उगाने, स्कूल का समय पूरा होने के बाद कंप्यूटर क्लास का वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल करने के लिए किया जा सकता है. इन सबसे स्कूल को फंड मिलेगा.
कैसे काम करेगा ये नियम?
पॉलिसी में प्रस्तावों पर विचार करने और अनुमति प्रदान करने के लिए जिला स्तर पर एक समिति गठित करने का भी प्रस्ताव है. छह सदस्यीय समितियों की अध्यक्षता जिलाधिकारी करेंगे, जो इसके प्रमुख होंगे. मुख्य विकास अधिकारी इसके उपाध्यक्ष, जिला विद्यालय निरीक्षक इसके सदस्य सचिव होंगे. इसके अलावा, फाइनेंस एंड अकाउंट्स ऑफिसर, मैनेजर और प्रिंसिपल इसके सदस्य होंगे.
स्टेट पॉलिसी गाइडलाइंस के मुताबिक, स्कूलों को पहले अपनी प्रबंधन समितियों की आम सभा की बैठक में प्रस्ताव को मंजूर करने की जरूरत होगी और फिर इसे जिला स्तरीय समितियों को आगे की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. केवल उन्हीं प्रस्तावों को मंजूरी दी जाएगी जो स्कूल के नियमित पढ़ाई को प्रभावित नहीं करते हैं. उन प्रस्तावों को भी मंजूरी नहीं दी जाएगी, जिसमें कंस्ट्रक्शन की जरूरत होगी.
स्कूलों को चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा विधिवत ऑडिट किए गए कमाई को हासिल करने और जांच के लिए समिति को प्रदान करने के लिए भी सहमत होना होगा. उन्हें पारदर्शिता के लिए उन्हें अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर अपलोड करने की भी जरूरत होगी.