लखनऊ : उप्र मदरसा शिक्षा परिषद ने बुधवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की उस सिफारिश को खारिज कर दिया जिसमें आयोग ने ऐसे सभी मदरसों की जांच के लिए कहा था जो गैर मुस्लिम बच्चों को दाखिला देते हैं। मदरसों में पढ़ रहे गैर मुस्लिम बच्चों का प्रवेश अन्य विद्यालयों में कराए जाने की भी सिफारिश आयोग ने की थी। आयोग ने यह पत्र सभी राज्यों को भेजा था। आयोग की इन्हीं सिफारिशों को मदरसा बोर्ड ने मानने से इन्कार कर दिया है।
मदरसा बोर्ड ने बुधवार को बैठक कर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए इसमें तय हुआ कि बेसिक शिक्षा की तर्ज पर मदरसा शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। यह भी तय हुआ कि उप्र अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा, मान्यता, प्रशासन एवं सेवा विनियमावली 2016 के संशोधन के संबंध में हित धारकों से पिछले दिनों लिए गए सुझाव समाहित करते हुए संशोधित प्रस्ताव शासन को भेजा जाए। अनुदानित मदरसों में कक्षा एक से आठ तक के छात्र-छात्राओं को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा ड्रेस वितरण में आ रही कठिनाइयों को दूर करने का निर्णय हुआ। बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने अधिकारियों से कहा कि जो भी दिक्कतें हैं उन्हें हर हाल में दूर किया जाए। बोर्ड ने बुधवार को अपने उस निर्णय को भी वापस ले लिया जिसमें अनुदानित मदरसों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध कराना था। पूर्व की भांति इस वर्ष भी बेसिक शिक्षा विभाग की पुस्तकें ही मदरसों में उपलब्ध कराई जाएंगी।
मदरसा बोर्ड ने बेसिक शिक्षा की तर्ज पर चरणबद्ध तरीके से एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया है। बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि मदरसा बोर्ड काफी पहले ही एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर चुका है, किंतु किताबों की उपलब्धता न होने के कारण दिक्कत आ रही थी। अब तय हुआ है कि बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में जिस प्रकार चरणबद्ध तरीके से एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा उसी तरह मदरसों में भी इसे लागू किया जाएगा। इससे किताबें मदरसों को भी मिल जायेंगे.