प्रयागराज। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में हाईकोर्ट के दखल पर परीक्षा देने वाले सैकड़ों बेरोजगारों को न तो रिजल्ट मिला और न ही नौकरी मिल सकी। भारतीय पुनर्वास परिषद से मान्यता प्राप्त बीएड (विशेष शिक्षा) करने वाले ये अभ्यर्थी चार साल से हाईकोर्ट और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना में बीएड के साथ ही बीएड (विशेष शिक्षा) को भी कक्षा एक से पांच तक की शिक्षक भर्ती में मान्य किया था।
● राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने किया था शामिल
● चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं, चार साल से भटक रहे अभ्यर्थी
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में हाईकोर्ट के दखल पर परीक्षा देने वाले सैकड़ों बेरोजगारों को न तो रिजल्ट मिला और न ही नौकरी मिल सकी। भारतीय पुनर्वास परिषद से मान्यता प्राप्त बीएड (विशेष शिक्षा) करने वाले ये अभ्यर्थी चार साल से हाईकोर्ट और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना में बीएड के साथ ही बीएड (विशेष शिक्षा) को भी कक्षा एक से पांच तक की शिक्षक भर्ती में मान्य किया था। एक जनवरी 2012 के बाद कक्षा एक से आठ तक की शिक्षक भर्ती से बीएड और बीएड (विशेष शिक्षा) को बाहर कर दिया था। हालांकि 28 जून 2018 को जारी संशोधित अधिसूचना में एनसीटीई ने बीएड को तो प्राथमिक शिक्षक भर्ती में मान्य कर लिया लेकिन बीएड (विशेष शिक्षा) का जिक्र नहीं किया। 2018 के ही अंत में प्रदेश सरकार ने 69000 शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी। उसमें बीएड को तो मौका मिला लेकिन बीएड (विशेष शिक्षा) को बाहर कर दिया गया। इसके विरोध में इन अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर दी।
पीड़ित अभ्यर्थी विजय पाल, योगेश सिंह, गौरव सिंह, निधि मौर्या, अमरनाथ मद्धेशिया, सत्येन्द्र पाठक, आशीष यादव आदि का कहना है कि कोर्ट के दखल पर बीएड (विशेष शिक्षा) करने वालों को छह जनवरी 2019 को आयोजित शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में तो शामिल किया गया। लेकिन परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने उनका परिणाम घोषित नहीं किया। ऐसे अभ्यर्थियों के परिणाम में कोर्ट केस लिखकर छोड़ दिया। परिणाम घोषित न होने के कारण इन अभ्यर्थियों को नौकरी भी नहीं मिल सकी। जनवरी के पहले सप्ताह में भी यह केस लगा था लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी।