प्रयागराज। वैसे तो इलेक्ट्रिकल, कम्प्यूटर व मोबाइल रिपेयरिंग में पुरुषों का दखल है, लेकिन उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन योजना के जरिए यदि छात्राओं को इन क्षेत्रों में प्रशिक्षण मिले तो वे कामयाबी के नए झंडे गाड़ सकती हैं। इसके लिए जरूरी है कि छात्राओं को इलेक्ट्रिकल, कम्प्यूटर व मोबाइल रिपेयरिंग का प्रशिक्षण दिया जाए। यह तथ्य गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्चना सिंह एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्रत्त् विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर रेखा गुप्ता के साथ अध्ययन में सामने आया है।
उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन योजना केंद्रों पर अध्ययन के लिए आईसीएसआर की ओर से उन्हें अहम जिम्मेदारी दी गई है। प्रो. अर्चना सिंह ने बताया कि कौशल विकास छात्राओं को रोजगार के नए अवसर दे रहा है। आम तौर पर महिलाएं या छात्राएं फैशन डिजाइनिंग, ब्यूटीशियन, हॉस्पिटल ग्राउंड स्टाफ, हॉस्पिटैलिटी सरीखे चुनिंदा विधाओं में ट्रेनिंग लेती हैं। उन्हें नई विधाओं में ट्रेनिंग के अवसर देने होंगे जो उनके लिए रोजगार का एक नया द्वार खोलेगा। इसलिए महिलाओं को आगे लाने के लिए इलेक्ट्रिकल, कम्प्यूटर व मोबाइल रिपेयरिंग का प्रशिक्षण देने पर कई क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मिलेंगे। प्रो. सिंह ने बताया कि प्रथम चरण के अध्ययन में मिला कि छात्राओं को सीमित ट्रेड की ट्रेनिंग दी जा रही है। डॉ. सिंह इस सुझाव को उत्तर प्रदेश शासन को भेजेंगी। उन्होंने बताया कि राज्य में इस मिशन के तहत 2023 तक 50 करोड़ से भी अधिक युवा वर्ग को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। इस मिशन में राज्य के 34 क्षेत्रों में से 718 पाठ्यक्रमों को शामिल किया गया है। जिसके लिए 3962 प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं।