लखनऊ। सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीटेट) में पकड़ी गई महिला सॉल्वरों ने एक दिन पहले ही व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था। इसमें परीक्षा संबंधी चैट की गई थी। पुलिस ने इस चैट को साक्ष्य के तौर पर विवेचना में शामिल किया है। जिस तरह से परीक्षा में 12वीं व स्नातक कर रहीं युवतियों को बतौर सॉल्वर शामिल किया गया था, उससे एक बात लगभग स्पष्ट है कि गिरोह का मकसद परीक्षा पास कराने का नहीं था।
शहर में शनिवार को अलग- अलग तीन परीक्षा केंद्रों से पांच महिला सॉल्वर गिरफ्तार की गई थीं। जिसमें शीलू, संगीता, रुचि, जूली व एक अन्य शामिल थी। पूछताछ में इन सभी ने बताया कि शिवानी नाम की युवती ने एक-एक हजार रुपये में परीक्षा में बैठने की डील की थी। पांच में से तीन युवतियां बंथरा स्थित सुल्तान फाउंडेशन परीक्षा केंद्र से पकड़ी गई थीं।
बंथरा इंस्पेक्टर आशीष मिश्रा ने बताया कि प्रतियोगी परीक्षाओं में जो भी सॉल्वर इसके पहले पकड़े गए उनकी योग्यता तभी वह अच्छी रही। तभी अभ्यर्थियों की जगह परीक्षा देकर पास कराने का ठेका लेता हैं। इस मामले में जो भी युवतियां पकड़ी गई हैं वह पढ़ने में सामान्य हैं। यहां तक कि स्नातक तक भी वह पढ़ी नहीं हैं। अधिकतर इंटर कर रही हैं, दो स्नातक कर रही हैं। इसलिए आशंका है कि सॉल्वर बैठाने वाला गिरोह का मकसद कुछ और था। जब गिरोह के सभी सदस्य व सरगना पकड़े जाएंगे तभी मामला साफ हो सकेगा।