पुरानी पेंशन की व्यवस्था लागू करने वाले राज्य वर्ष 2030 तक दिवालिया हो सकते हैं। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय ने इसे एक खतरनाक रुझान करार दिया है।
डॉ. देबरॉय ने कहा कि पुरानी पेंशन व्यवस्था से होने वाले दुष्प्रभाव का पता कुछ साल बाद चलेगा। अमर उजाला से एक विशेष इंटरव्यू में उन्होंने कहा, जो राज्य इसे लागू कर रहे हैं, वे इसके भयावह आर्थिक परिणाम को नजरअंदाज कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि नई पेंशन योजना के पीछे क्या राजनीतिक व आर्थिक वजहें रही हैं। उन्होंने कहा, अगर हम करदाताओं का दायरा बढ़ाना चाहते हैं, तो हमें धीरे-धीरे ऐसा सिस्टम लाना चाहिए, जहां कोई छूट न मिले।
गहन छानबीन से तोड़ सकते हैं चीनी कंपनियों के रैकेट
डॉ. देबरॉय ने कहा कि चीनी कंपनियों के रैकेट को गहन छानबीन से ही तोड़ा जा सकता है। साथ ही, कारोबारी नियमों को सरल बनाए जाने की जरूरत है। लेन-देन में पारदर्शिता भी वक्त की जरूरत है।
नई कर व्यवस्था अपनाने वालों को मिले प्रोत्साहन
डॉ. देबरॉय ने माना कि नई कर व्यवस्था को अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली। उन्होंने कहा कि इसे अपनाने वालों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। पुरानी कर व्यवस्था को लोग इसलिए स्वीकार कर रहे हैं, क्योंकि अब भी सारी छूट उसी में दी जा रही है।
डॉ. देबरॉय ने कहा, फिलहाल दो अलग प्रणाली हैं। चाहे पर्सनल टैक्स भरने वाले हों, या कॉरपोरेट वाले, बिना छूट वाली प्रणाली को किसी ने भी नहीं अपनाया है। ऐसे में छूट विहीन प्रणाली को ज्यादा से ज्यादा आकर्षक बनाया जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि इस बजट में इसे और भी प्रभावी बनाया जाएगा।