मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बनारस की पहचान अब धार्मिक और पौराणिक शहर तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह पूर्वोत्तर भारत में रोजगार का सबसे बड़ा केंद्र भी बनेगा। 2024 तक यहां रोजगार के विभिन्न संसाधन विकसित होने जा रहे हैं। सरकार ‘गंगा विलास’ का परिचालन शुरू होने के तत्काल बाद एक बड़ा व्यावसायिक जलयान शुरू करने पर निर्णय लेने जा रही है। वह जलयान यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम तक नए उद्योग व व्यापार को जन्म देगा।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को लखनऊ रवाना होने से पहले सर्किट हाउस में ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में सरकार की प्राथमिकताएं और आगामी कार्ययोजना रखीं। उन्होंने कहा कि सरकार के विकास कार्यों का लक्ष्य प्रदेश में रोजगार को बढ़ाना है। काशी में विश्वनाथ धाम और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर्यटन ही नहीं, रोजगार के नए अवसर और विकल्प भी खोल रहा है। धाम के विकास से विश्वनाथ मंदिर के आसपास छोटे-बड़े सभी व्यापार की उन्नति हुई है। व्यवसाय के नये साधन खुल रहे हैं।
रिंग रोड किनारे जीआई व ओडीओपी उत्पादों का कॉरिडोर सीएम ने कहा कि वाराणसी क्षेत्र में देश के सबसे ज्यादा 17 जीआई (भौगोलिक संकेतक) उत्पाद हैं। प्रदेश सरकार की ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना में गुलाबी मीनाकारी, लकड़ी के खिलौने व बनारसी सिल्क शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बनारस में करीब 45 किमी लंबी रिंग रोड के किनारे जीआई व ओडीओपी उत्पादों का क्लस्टर विकसित होगा। इन उत्पादों से प्रदेश का लाखों परिवार जुड़ा है। कभी ये उत्पाद घरों तक सिमटे हुए थे। केंद्र व प्रदेश सरकार के प्रयास से अब उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है।