लखनऊ,। अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में सुविधाएं जुटाने के लिए फीस बढ़ाने की तैयारी है।
प्रदेश में 5483 एडेड स्कूल हैं। राज्य सरकार इस पर विचार कर रही है। वहीं स्कूलों की आय बढ़ाने के लिए यहां सार्वजनिक कार्यक्रम, शादियां व अन्य कार्यक्रम की अनुमति देने पर भी मंथन चल रहा है।
राज्य सरकार की मंशा है कि एडेड स्कूलों की आय को बढ़ाया जाए ताकि भवन की मरम्मत, सुविधाएं, फर्नीचर आदि स्कूल अपने संसाधनों से जुटा सके। इस संबंध में कई बैठकें हो चुकी है। एडेढ स्कूलों की सालाना फीस 500 से 600 रुपये है। इन स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों की शिक्षा निशुल्क है यानी कोई फीस नहीं ली जाती। ऐसे में स्कूलों की आय का कोई साधन नहीं है।
इन स्कूलों के शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन सरकार देती है। ऐसे में सरकार कोई ऐसा रास्ता ढूंढ़ रही है जिससे स्कूलों की आय बढ़ जाए। इन स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। सरकार ने 70 साल पुराने स्कूलों की मरम्मत व सौंदर्यीकरण की योजना बनाई थी लेकिन इसमें उतनी ही रकम प्रबंधन द्वारा लगाने का नियम है। ऐसे में यह योजना भी ठण्डे बस्ते में चली गई। इन स्कूलों में विद्यार्थियों के बैठने के लिए न तो ढंग के फर्नीचर हैं और न ही अन्य अन्य सुविधाएं।
इसके अलावा सरकार स्कूल परिसर में ऐसे कार्यक्रमों को ही अनुमति देने पर भी विचार कर रही है जिससे शिक्षण कार्यों में कोई बाधा न आए।