लखनऊ: विधान परिषद में लगातार दूसरे दिन शिक्षा मित्रों का मामला उठा। सपा ने शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने तथा सहायक अध्यापक के पद पर उनकी नियुक्ति करने की मांग की। जवाब में सरकार ने जब सपा के कार्यकाल में शिक्षा मित्रों के साथ हुए बर्ताव की बात कही तो सपा सदस्यों ने शिक्षा मित्रों के साथ सौतेला व्यवहार किए जाने का आरोप लगाकर सदन से बहिर्गमन कर दिया।शुक्रवार को प्रश्नकाल में सपा के डा. मानसिंह यादव ने सरकार से सवाल किया कि शिक्षा मित्रों के मानदेय में वृद्धि की कोई कार्ययोजना है? और अगर नहीं है तो कार्ययोजना बनाकर शिक्षा मित्रों के मानदेय में वृद्धि की जाएगी। जवाब में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में 20 सितम्बर 2017 को जारी शासनादेश के तहत शिक्षा मित्रों को 10,000 रुपये मानदेय निर्धारित किया गया है। इस पर पूरक प्रश्न करते हुए मान सिंह यादव ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने ही समान कार्य के समान वेतन की व्यवस्था दे रखी है लिहाजा शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाया जाए।सपा के ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री को उनके बाबा कल्याण सिंह द्वारा अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में शिक्षा मित्रों की बहाली किए जाने की दुहाई देते हुए इस मामले में सदन में घोषणा करने की मांग की। इस पर संदीप सिंह ने कहा कि सपा के शासन काल में शिक्षा मित्रों का मानदेय मात्र 3500 रुपये था। भाजपा सरकार ने ही मानदेय बढ़ाकर 10,000 रुपये किया है। उन्होंने कहा कि जिस शिक्षा मित्र ने मानकों को पूरा किया उन्हें सहायक अध्यापक नौकरी मिली। राज्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेशों का अनुपालन कर रही है। इस जवाब से असंतुष्ट सपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।
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