सीतापुर। ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य कराने के लिए शासन की तिजोरी खुली रहती है। लेकिन अफसोस तब होता है जब पता चलता है कि विकास कार्यों के लिए मिलने वाले बजट को पंचायत प्रतिनिधियों ने निजी तिजोरी की तरह इस्तेमाल किया। जनपद के परसेंडी विकास खंड की ग्राम पंचायत गौरिया झाल में मिशन कायाकल्प के तहत कार्य कराने को गतवर्ष सितंबर में ही लगभग सवा तीन लाख रुपये निकाल लिए गए, लेकिन काम ढेला भर नहीं हुआ। पिछले कुछ दिनों से अमर उजाला ने इसकी पड़ताल शुरू की तो आनन-फानन निर्माण शुरू करा दिया गया।
ग्राम पंचायत गौरिया झाल में पांच अलग-अलग कार्यों के लिए तीन लाख 17 हजार से अधिक का भुगतान निकाला गया। उक्त भुगतान प्राथमिक विद्यालय सरैंया कायस्थान में शौचालय की मरम्मत, उच्च प्राथमिक विद्यालय गौरिया झाल में शौचालय की मरम्मत, प्राथमिक विद्यालय गौरिया झाल में शौचालय की मरम्मत और प्राथमिक विद्यालय गौरियाझाल में दिव्यांग शौचालय के नाम पर निकाला गया। उक्त सभी भुगतान सितंबर 2022 में कर दिए गए थे।
हकीकत यह कि सितंबर से लेकर जनपद तक यहां कोई कार्य हुआ ही नहीं, इसका पता चलने पर अमर उजाला ने पड़ताल करना शुरू की, पिछले पांच दिनों से उक्त कार्यों को शुरू करा दिया गया। खास बात यह भी है कि ब्लॉक के जिम्मेदार अफसरों से लेकर कर्मचारी तक गांवों में भ्रमण करते हैं, लेकिन खेल की जानकारी पर चुप्पी रहती है।
जांच में करते देरी तो ओके आती रिपोर्ट
ग्राम पंचायतों से लेकर क्षेत्र पंचायतों तक में होने वाले गोलमाल के प्रकरण जनपद के आलाधिकारियों तक भी पहुंचते हैं। जिले के आला अफसर इन मामलों पर जांच के निर्देश देते हैं, लेकिन जांच करने को नामित किए जाने वाले अफसर जमकर लापरवाही करते हैं। सत्ता के दखल और उपहार-उपकार के बदले लंबे समय तक अधिकारी जांच करने के लिए मौके पर जाते ही नहीं।
इस बीच मिलने वाले समय में खेल कर दिया जाता है। आनन फानन निर्माण कार्य से लेकर मरम्मत तक करा दी जाती है और फिर जब जांच अफसर मौके पर पहुंचते हैं, तो उन्हें काफी कुछ दुरुस्त मिलता है। जांच अफसर अपनी रिपोर्ट में सबकुछ दुरुस्त दर्शा देते हैं और इसके बदले खेल करने वाले जिम्मेदार उन्हें उपकृत भी कर देते हैं।
शिकायत हुई थी, पर नहीं हो पाई जांच
गौरियाझाल में बिना कार्य कराए ही भुगतान लिए जाने की शिकायत 30 जनवरी को परसेंडी के पूर्व ब्लाक प्रमुख रंभा सिंह ने आलाधिकारियों से की थी। मामले की जांच के आदेश भी हुए, लेकिन कोई भी जांच के लिए गया ही नहीं। परसेंडी के खंड विकास अधिकारी ने सहायक विकास अधिकारी कृषि शेर सिंह राठौर और लघु सिंचाई विभाग के अवर अभियंता हेमंत कुमार की संयुक्त जांच टीम भी तीन फरवरी को गठित की थी, लेकिन इसकी रिपोर्ट भी अब तक नहीं दी गई