जादुई पिटारा’ तैयार करने वाली एनसीईआरटी टीम की सदस्य प्रोफेसर रंजना अरोड़ा ने बताया कि इसे प्लेबुक, खिलौने, पहेलियां, कठपुतलियां, पोस्टर, फ्लैश कार्ड, कहानी की किताबें, वर्कशीट, एनीमेशन, आकर्षक किताबें के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति, सामाजिक संदर्भ और भाषाओं को मिलाकर तैयार किया गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को बालवाटिका एक, दो व तीन और पहली व दूसरी कक्षा के लिए एनसीईआरटी द्वारा तैयार ‘जादुई पिटारा’ नामक पाठ्यक्रम को लॉन्च किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस उम्र के बच्चे खेल-खेल में अधिक सीखते हैं। इसलिए उन्हें किताबों के बोझ से निजात देने वाला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत तैयार यह ”जादुई पिटारा” खेल, चित्रकला, नृत्य व संगीत के माध्यम से शिक्षा से जोड़ेगा।
बालवाटिका एक, बालवाटिका दो, बालवाटिका तीन तक के बच्चों को कोई स्कूल बैग नहीं होगा, जबकि पहली व दूसरी कक्षा के छात्रों को भी किताबों के भारीभरकम बोझ से निजात मिलेगी। इन सभी कक्षाओं के छात्रों को 13 भारतीय भाषाओं में पढ़ाई का मौका मिलेगा। दिल्ली स्थित आंबेडकर भवन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा और राष्ट्रीय संचालन समिति के अध्यक्ष डॉ. के कस्तूरीरंगन की उपस्थिति में बुनियादी चरण के लिए शिक्षण-अध्यापन सामग्री का शुभारंभ किया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार इस ‘जादुई पिटारा’ में 3 से 8 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए खेल, चित्रकला, नृत्य व संगीत पर आधारित शिक्षा की रूपरेखा तैयार की गयी है।
‘जादुई पिटारा’ की खासियत
‘जादुई पिटारा’ तैयार करने वाली एनसीईआरटी टीम की सदस्य प्रोफेसर रंजना अरोड़ा ने बताया कि इसे प्लेबुक, खिलौने, पहेलियां, कठपुतलियां, पोस्टर, फ्लैश कार्ड, कहानी की किताबें, वर्कशीट, एनीमेशन, आकर्षक किताबें के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति, सामाजिक संदर्भ और भाषाओं को मिलाकर तैयार किया गया है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के तहत विकसित ‘जादुई पिटारा’ 13 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। यह सीखने-सिखाने के माहौल को समृद्ध करने, बाल-केंद्रित, जीवंत और आनंदमय बनाने की दिशा में कारगर होगा।
बालवाटिका में किताब और कॉपी नहीं
बालवाटिका एक, दो और तीन के बच्चों का कोई स्कूल बैग नहीं होगा। बच्चे घर से अपने स्कूल बैग में अपने मनपसंद खिलौने, कपड़े और टिफिन लेकर आएंगे। स्कूल में पारंपरिक डेस्क व बेंच की जगह लकड़ी के घोड़े, गोल आकार की मेज, छोटी-छोटी कु़र्सियां और सामने दीवार पर बड़ी सी स्क्रीन। यहां अलग-अलग कार्टून, कहानियां, डांस, ड्राइंग के माध्यम से बच्चे खेल-खेल में जमा-घटाव, अंक, बात करने का तरीका, भाषा और अन्य जानकारियां हासिल करेंगे।
जादुई पिटारे की खासियत
पाठ्यक्रम में पांच क्षेत्रों पर फोकस है। इसमें शारीरिक विकास, सामाजिक भावनात्मक और नैतिक विकास, संख्यात्मक विकास, भाषा एवं साक्षरता विकास, सुरुचिपूर्ण एवं सांस्कृतिक विकास, सीखने की सकारात्मक आदतें शामिल हैं।
• सभी बच्चों को किसी न किसी खेल से जुड़ना जरूरी होगा ।
केवल किताबें ही नहीं, बल्कि सीखने और सिखाने के लिए अनगिनत संसाधनों का उपयोग होगा। इनमें खिलौने, पहेलिया, कठपुतलियां, पोस्टर, फ्लैश कार्ड वर्कशीट्स और आकर्षक किताबें आदि शामिल हैं।
• इनमें स्थानीय परिवेश, पर्यावरण, संदर्भ और समुदाय आदि से जुड़ी जानकारियों को भी जोड़ा गया है।
शिक्षकों को भी मिलेगा प्रशिक्षण
बच्चों के लिए बुनियादी स्तर का पाठ्यक्रम बनाने के साथ ही एनसीईआरटी ने शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए भी अध्ययन सामग्री तैयार की है। इसके जरिये शिक्षकों को यह प्रशिक्षण दिया जाएगा कि उन्हें इसके तहत बच्चों को पढ़ाना कैसे है ।