वाराणसी,। समाज में बेटियों की भागीदारी बढ़ाने और उनके परिवार को गौरव का आभास कराने के लिए बनारस नई पहल की जा रही है। गांवों के प्रमुख चौराहों, सड़कों या अमृत सरोवर का नामकरण बेटियों व बहुओं के नाम पर होगा। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत जिला प्रशासन इस दिशा में कदम उठाने जा रहा है। ऐसा करने वाला बनारस संभवत देश का पहला जिला होगा।
शासन-प्रशासन के लाख प्रयास के बावजूद अब तक बेटियों को न तो समाज में और न ही परिवार में वह दर्जा मिल पाया है जिसकी वह हकदार हैं। पुरुष प्रधान समाज में अभी बेटों को ही ‘कुलदीपक’ माना जाता है। जबकि समय-समय पर बेटियों ने अपनी महत्ता साबित भी की है। कई क्षेत्रों में बेटियां उन्हें पीछे छोड़ती भी दिखती हैं। इसके बावजूद समाज के बड़ा वर्ग की मानसिकता इसे स्वीकार करने की नहीं है।
गांवों में यह स्थिति अपेक्षाकृत अधिक है। इसी सोच को बदलने के लिए जिला प्रशासन ने अमृत सरोवर, गांवों के प्रमुख चौराहों, सड़कों, पुस्तकालय, खेल मैदान आदि का नामकरण गांव के नाम के बजाए बेटियों या बहुओं पर करने का निर्णय लिया है।
बनाई जा रही है सूची
प्रत्येक खंड विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत स्तर से समाज में नाम कमाने वाली बेटियों की सूची बनाई जा रही है। जिसमें खेलकूद, शिक्षा, व्यापार, साहित्य, पत्रकारिता, प्रशासनिक क्षेत्र, समाजसेवा या खुद को स्थापित करने के साथ गांव व क्षेत्र का नाम रोशन किया हो, उसे शामिल किया जाएगा।
जिले में प्रति हजार 185 बेटियां कम
बनारस में 1000 बेटों पर 825 बेटियों का लिंगानुपात है। यानी प्रति हजार 185 बेटियां कम हैं। यह असमानता और बढ़ रही है, जो हर काशीवासी के लिए चिंतनीय है। प्रशासन को उम्मीद है कि इस पहल से जागरूकता बढ़ेगी और बेटे-बेटियों के अनुपात में कमी आएगी।
कोट
‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत बेटियों की समाज में भागीदारी बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। डीपीआरओ, बीएसए और बीडीओ से तीन दिन में नाम का प्रस्ताव मांगा गया है। इस कार्य की जिम्मेदारी जिला प्रोबेशन कार्यालय को दी गई है।
हिमांशु नागपाल, मुख्य विकास अधिकारी