लखनऊ/प्रयागराज, विधि संवाददाता। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए, प्रदेश के सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों और हाईस्कूलों में प्रधानाचार्य तथा हेड मास्टर की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। कोर्ट ने वर्ष 2013 के विज्ञापन संख्या 3 के क्रम में की गई सभी भर्तियों को रद्द कर दिया है। न्यायालय ने कहाकि नौ वर्ष पहले जारी किए गए विज्ञापन के क्रम में अब नियुक्तियां करना, संविधान में प्रदत्त लोक नियोजन में समान अवसर और विधि के समक्ष समता के मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।
यह निर्णय न्यायमूर्ति पंकज भाटिया एकल पीठ ने कमेटी ऑफ मैनेजमेंट इंटर कॉलेज नतौली की याचिका समेत 29 याचिकाओं पर पारित किया है। याचियों की ओर से अधिवक्ता शरद पाठक ने दलील दी कि प्रदेश के वित्तीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य की नियुक्ति के लिए वर्ष 2013 में विज्ञापन जारी किया गया। इसके तहत 31 जनवरी 2014 तक आवेदन मांगे गए थे।
इसमें इंटर कॉलेजों के दो वरिष्ठ अध्यापकों के चयन पर विचार होना था। आवेदन पत्र लेने के बाद पूरी प्रक्रिया को बंद कर दिया गया। अचानक 10 जनवरी 2022 को आदेश जारी कर इंटर कॉलेजों के दो सबसे वरिष्ठ अध्यापकों को अपना ब्योरा ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज करने का निर्देश दिया गया। इसके बाद नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की गई। नौ साल बाद 11 से 13 नवंबर 2022 के बीच 632 पदों के सापेक्ष 581 पदों का परिणाम घोषित किया गया था। याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध करते हुए, नियुक्तियों को विधि सम्मत बताया गया।
होम्योपैथी डॉक्टर 62 वर्ष में रिटायर होंगे हाईकोर्ट
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के एलोपैथी डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष कर दी गई है जबकि होम्योपैथिक चिकित्सा सेवा कैडर के डॉक्टरों के लिए सेवानिवृत्ति की उम्र को अब तक 60 वर्ष ही रखा गया है, यह विधि के समक्ष समता के सिद्धांत का उल्लंघन है। न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ ही याचिका दाखिल करने वाले होम्योपैथिक डॉक्टर डॉ. सुरेन्द्र प्रताप यादव की सेवानिवृत्ति सम्बंधी आदेश को निरस्त कर दिया व उन्हें 62 वर्ष की आयु तक सेवा में बनाए रखने का आदेश दिया है।