फतेहपुर, शासन ने भले ही ग्रामीण क्षेत्रों की भांति नगरीय निकायों में भी परिषदीय स्कूलों के कायाकल्प को हरी झंडी दी थी लेकिन बजट के अभाव में धरातल पर कायाकल्प होता नहीं दिख रहा है। नगरीय क्षेत्रों में स्थित परिषदीय स्कूलों में बजट के अभाव के चलते कायाकल्प अटका हुआ है। नीति आयोग से दिए मिले बजट से कुछ स्कूलों में काम कराए गए लेकिन उनकी गुणवत्ता को लेकर भी प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं।
शासन ने ग्रामीण क्षेत्रों की भांति नगरीय क्षेत्रों में स्थित परिषदीय स्कूलों में भी आपरेशन कायाकल्प के अन्तर्गत अवस्थापना सुविधाओं का विकास कराने का आदेश दिया था। शासन का मानना है कि ऑपरेशन कायाकल्प से स्कूलों में बेहतर शैक्षिक परिवेश का भी सृजन हुआ। प्रमुख सचिव ने नगर निकाय निदेशालय के निदेशक व नगरपालिका तथा नगरपंचायतों के अधिशाषी अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा था कि आपरेशन कायाकल्प अब निकायों में भी संचालित किया जाए। अवस्थापा सुविधाओं के विकास के लिए केन्द्रीय वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग, स्मार्ट सिटी फंड, निकाय निधि तथा अवस्थापना विकास निधि आदि का उपयोग इनकी गाइडलाइन्स के अन्तर्गत अनुमन्य कार्यों पर भी किया जा सकता है।
सड़क व नाली के लिए बजट, स्कूलों के लिए नहीं
नगरीय निकायों में बीते सालों में सड़कों व नालियों के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए लेकिन जिम्मेदारों ने स्कूलों के कायाकल्प से दूरी बनाए रखी। शिक्षकों से कहा गया कि बजट की कमी के कारण परिषदीय स्कूलों में कार्य नहीं हो पा रहे हैं।
नीति आयोग से मिले धन में भी खेल
सूत्र बताते हैं कि कई ब्लॉकों में नीति आयोग द्वारा आवंटित बजट से अवस्थापना कार्य कराए गए लेकिन उनकी गुणवत्ता शुरूआत से ही सवालों के घेरे में रही है। कई स्कूलों में अधूरे काम कराए तो कुछ में गुणवत्ता दोयम दर्जे की रही। बीते साल उच्च अधिकारियों ने नीति आयोग के बजट से कराए गए कामों की जांच कराई है। जांच के बाद क्या हुआ, अब तक पता नहीं चला है।
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