प्रयागराज। संसद से पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलमेंट एक्ट (पीएफआरडीए) वापस होने पर ही पुरानी पेंशन स्थायी तौर पर बहाल होगी। ऐसा नहीं हुआ तो पुरानी पेंशन बहाली करने वाले राज्यों में सत्ता परिवर्तन होते ही फिर से एनपीएस का खतरा खड़ा हो जाएगा। पीएफआरडीए रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली की मांग के राष्ट्रव्यापी आंदोलन को जन आंदोलन बनाना होगा। यह बातें अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने मंगलवार को राजकीय मुद्रणालय के श्रम हितकारी केन्द्र में संयुक्त राज्य स्तरीय कर्मचारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली पाप नहीं, कर्मचारियों का अधिकार है। सवाल किया कि अगर पुरानी पेंशन पाप है तो भाजपा के एमपी और एमएलए यह लाभ लेकर पाप क्यों कर रहे हैं? राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचना, पूंजीपतियों के करोड़ों के कर्ज माफ करना, कॉरपोरेट टैक्स 30 से घटाकर 22 प्रतिशत करना और गरीबों के खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी लागू करना पाप है।सम्मेलन की अध्यक्षता कनफेडेरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के राज्य प्रधान सुभाष चन्द्र पाण्डेय और उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के जिला संरक्षक कड़ेदीन यादव ने की। महासंघ के उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा व सुभाष चन्द्र पाण्डेय ने एनपीएस से जमा राशि को वापस राज्यों को न करने के केंद्रीय वित्त मंत्री के बयान की घोर निंदा की। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के सचिव पुनीत त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के महासचिव अशोक सिंह, संरक्षक एसपी सिंह, रूद्र प्रताप सिंह, नरेंद्र प्रताप सिंह, कनफेडेरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के नेता प्रमोद कुमार राय, हरीश चंद्र त्रिवेदी, अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य निधि, मोहम्मद आफिफ सिद्दीकी, सीटू के राज्य प्रधान रवि मिश्रा, एटक के राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य जवाहर लाल विश्वकर्मा, पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह व उत्तर प्रदेश पेंशनर्स एसोसिएशन के जिला प्रधान वीएन पांडेय आदि मौजूद रहे।
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